पॉलीथिन प्रयोग पर नपा की सख्ती, नोटिस चस्पा
15 जुलाई से 50 माइक्रान से कम पॉलीथिन को प्रयोग से बाहर कर दिया गया है। इसका पालन जनपद में कड़ाई से हो रहा है। दुकानदारों को प्रेरित किया जा रहा कि वह किसी भी दशा में पन्नी का प्रयोग न करें न होने दें। यही नहीं ग्राहक भी मन में ठान लिए हैं कि अब पॉलीथिन को प्रयोग में नहीं लाएंगे।
बस्ती : 15 जुलाई से 50 माइक्रान से कम पॉलीथिन को प्रयोग से बाहर कर दिया गया है। इसका पालन जनपद में कड़ाई से हो रहा है। दुकानदारों को प्रेरित किया जा रहा कि वह किसी भी दशा में पन्नी का प्रयोग न करें न होने दें। यही नहीं ग्राहक भी मन में ठान लिए हैं कि अब पॉलीथिन को प्रयोग में नहीं लाएंगे। बाजार निकलने वाले लोग अब झोला लेकर आ रहे। चूंकि उनको पता हो गया है कि इसका प्रयोग कितना हानिकारक है। अब ग्राहक वर्षों पुराने ढर्रे पर लौट चुके हैं। इधर नगरपालिका प्रशासन ने पॉलीथिन प्रयोग करने वालों पर सख्ती शुरू कर दी है। जगह-जगह नोटिस चस्पा कर निर्देश का पालन करने को कहा जा रहा है। शाम को रोडवेज पर अभियान चला कर लोगों को जागरूक किया गया।
प्रदूषण के लिए नासूर बन चुके पतली पन्नी को प्रयोग से बाहर करने के सरकारी निर्णय को लोगों ने सराहनीय बताया है। बस इंतजार है, इससे ऊपर के पॉलीथिन को चलन से बाहर करने का। शहर के बाजारों से पालीथिन गायब हो चुकी है। ग्राहक भी घर से निकलते समय झोला लेकर निकल रहे हैं। ग्राहकों और दुकानदारों को यह नपा कर्मी यह भी बता रहे हैं कि पालीथिन के प्रयोग पर एक लाख रुपये तक जुर्माना भरना पड़ सकता है। ठेले वाले हों या फिर छोटे या बड़े व्यापारी सभी सरकार के निर्देशों को पालन करने में जुट गए हैं। यहां तक कि ग्राहक को पालीथिन के बजाए झोला दिया जा रहा है। झोले का चार्ज अलग से लिया जा रहा है।
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अब तक जप्त की गई 50 किलो पन्नी
नगर पालिका ने अब तक 50 किलो से अधिक पन्नी जप्त की है। इसके अलावा शहर में प्रचार वाहन से लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि पालीथिन का प्रयोग न करें, नहीं तो जुर्माना के साथ ही कारावास की सजा भुगतनी पड़ सकती है।
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6 सदस्यीय टीम गठित, घूम-घूम कर रही प्रचार
नगर पालिका प्रशासन ने शहरी क्षेत्र में पालीथिन पर प्रतिबंध का पूर्णता पालन कराने के लिए कर निर्धारण अधिकारी गजेंद्र ¨सह के नेतृत्व में छह सदस्यीय टीम गठित कर दी है। टीम में टीआइ, सफाई निरीक्षक, सुपरवाइजर शामिल हैं जो पूरे नगर में भ्रमण कर पालीथिन का प्रयोग न करने की लोगों को जानकारी दे रहे हैं।
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बोले नागरिक पॉलीथिन का प्रयोग नहीं करेंगे
शहर की निवासी सोनम कहती हैं कि पॉलीथिन के प्रयोग पर सरकार ने प्रतिबंध लगाकर अच्छा कदम उठाया है। इसका पालन सबको करना चाहिए। वह खुद पालीथिन का प्रयोग त्याग दी हैं, घर से निकलते समय झोला लेकर निकलती हैं। सरकार के आदेश का पालन कड़ाई से हो।
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कर्मचारी सरोज वर्मा ने पालीथिन प्रयोग पर प्रतिबंध कई साल पहले से चाहती थीं। कहती हैं कि पतली पन्नी स्वास्थ्य व पर्यावरण के लिए काफी हानिकारक है। सभी को एक साथ इसका त्याग कर देना चाहिए। पालीथिन का मोह छोड़ खुद झोला लेकर बाजार निकल रहे।
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जागरूक नागरिक सुधाकर भट्ट कहते हैं कि पालीथिन का प्रयोग जानलेवा है। यह कभी खत्म नहीं हो सकती। ऐसे में इसको प्रयोग से बाहर कर इसका खात्मा करें, ताकि भविष्य अच्छा रहे। पर्यावरण को बचाना है तो इसका त्याग करना होगा। पालीथिन पर प्रतिबंध सराहनीय कदम है।
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पर्यावरण मित्र अभिषेक ओझा कहते हैं कि 4 साल पहले से पन्नी पर प्रतिबंध को लेकर जागरूकता कार्यक्रम चला रहे थे। सरकार से मांग कर रहे थे कि इस पर रोक जल्द लगाए, ताकि पर्यावरण बचा रहे। पालीथिन हर प्रकार का बंद होना चाहिए। बड़ी कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगना चाहिए।
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प्लास्टिक को अब अन्य जीव अनाशित सामग्री के श्रेणी में रखा
शासन ने प्लास्टिक को अन्य जीव अनाशित सामग्री की श्रेणी में रखा गया है। चूंकि पन्नी को पशु आहार के चक्कर में खा लेते हैं। इनको बचाने के लिए शब्द चेंज कर दिया गया है।
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प्लास्टिक प्रयोग व जब्त होने पर तय हुआ जुर्माना
प्रतिबंधित पालीथिन व थर्मोकोल के प्रयोग पर सरकार ने जुर्माने की राशि तय कर दी है। 100 ग्राम तक पालीथिन मिलने पर 1000 रुपये, 101 से 500 ग्राम तक 2000 रुपये, 501 ग्राम से 1 किलो ग्राम तक 5000 रुपये, 1 किलो से 5 किलो तक 10,000 रुपये, 5 किलो व उससे अधिक पर 25000 रुपये जुर्माना तय है। इसके अलावा सार्वजनिक स्थलों, तालाब, संस्थान आदि जगहों पर पालीथिन फेंकने पर 25000 रुपये जबकि ढाबा, दुकानों, सड़कों पर पालीथिन फेंकने पर 1000 रुपये जुर्माना तय कर दिया गया है।
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नगरीय क्षेत्रों में पालीथिन प्रयोग पर सख्ती हो रही है। जुर्माना लगाया जा रहा है। पालीथिन जब्त की जा रही है। लोगों को यह बताया जा रहा है कि इसका प्रयोग जेल पहुंचा सकता है। शहर को पालीथिन मुक्त बनाना है।
डा. मणि भूषण तिवारी, ईओ नगर पालिका