धनुष भंजन कर श्रीराम ने दूर किया जनक का संताप
आदर्श रामलीला समिति द्वारा शिव मंदिर खखोड़ा में चल रहे रामलीला में सोमवार की रात कलाकारों ने धनुष भंजन व राम विवाह की लीला का मंचन किया। कलाकार संदीप अजय कुमार भूपेन्द्र नरायण हृदयराम हरिओम संचित रामतौल ने दिखया कि जब संसार के सभी राजा व राजकुमार जनक जी के प्रणानुसार शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने को कौन कहे कोई छू भी नहीं सका। प्रण पूरा न होने पर जनक जी को संताप हो गया। संताप से ग्रसित जनक ने कहा कि मुझे लगता है पूरी पृथ्वी वीर विहीन हो गयी है। पहले से पता होता तो ऐसा प्रण नहीं करते जिससे उनकी जग हसाई हो। रंग भूमि में मौजूद अयोध्या के राजकुमार लक्ष्मण क्रोधित होकर जनक जी के लिए कटु शब्द कहे।
बस्ती: आदर्श रामलीला समिति द्वारा शिव मंदिर खखोड़ा में चल रहे रामलीला में सोमवार की रात कलाकारों ने धनुष भंजन व राम विवाह की लीला का मंचन किया। कलाकार संदीप, अजय कुमार, भूपेन्द्र नरायण, हृदयराम, हरिओम, संचित, रामतौल ने राम लीला में दिखाया कि संसार के सभी राजा व राजकुमार राजा जनक के प्रण अनुसार शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने को कौन कहे कोई छू भी नहीं सका। प्रण पूरा न होने पर जनक जी को संताप हो गया। संताप से ग्रसित जनक ने कहा कि मुझे लगता है पूरी पृथ्वी वीर विहीन हो गयी है। पहले से पता होता तो ऐसा प्रण नहीं करते जिससे उनकी जग हसाई हो। रंग भूमि में मौजूद अयोध्या के राजकुमार लक्ष्मण क्रोधित होकर जनक जी के लिए कटु शब्द कहे।
जनक जी को अधीर देख मुनि विश्वामित्र ने राम को धनुष भंजन कर उनके संताप दूर करने को कहा। आदेश मिलने पर श्रीराम ने धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने का प्रयास किया तो वह टूट गया। धनुष टूटते ही पूरा पंडाल सिया वर रामचन्द्र के जयकारों से गूंज उठा। धनुष भंजन के उपरांत पंहुचे परशुराम जी के क्रोध को शांत कराकर उनके अहंकार को श्रीराम ने दूर किया। मुनि विश्वामित्र ने जनक जी से कहा कि प्रण के अनुसार तो राम सीता का विवाह हो गया किन्तु अयोध्या नरेश राजा दशरथ को बुला कर वैदिक विधि विधान से दोनो का विवाह संपन्न करायें। जिसके बाद दोनों का विवाह संपन्न हुआ।