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बंधे पर खर्च 15 करोड़, सुरक्षा भगवान भरोसे

दुबौलिया ब्लाक का माझा इलाका हर साल बाढ़ की पीड़ा झेलता है। इस क्षेत्र की सुरक्षा के लिए बनाए गए तटबंधों की दशा कभी-भी ठीक नहीं रही

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 11:33 PM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 11:33 PM (IST)
बंधे पर खर्च 15 करोड़, सुरक्षा भगवान भरोसे
बंधे पर खर्च 15 करोड़, सुरक्षा भगवान भरोसे

बस्ती: दुबौलिया ब्लाक का माझा इलाका हर साल बाढ़ की पीड़ा झेलता है। इस क्षेत्र की सुरक्षा के लिए बनाए गए तटबंधों की दशा कभी-भी ठीक नहीं रही। हर साल बाढ़ में यहां अफरा-तफरी की स्थिति रहती है। रामजानकी मार्ग और तटबंध के बीच बसे एक दर्जन से अधिक गांवों की सुरक्षा के लिए कटरिया-चांदपुर और चांदपुर-गौरा बांध का निर्माण हुआ है। एक दूसरे से मिले नौ किलोमीटर लंबे इन तटबंधों की सुधि बाढ़ खंड तब लेता है जब नदी उफान पर होती है। कटरिया- चांदपुर व चांदपुर-गौरा तटबंध पर 16 जून से अनुरक्षण कार्य हो रहा है जो अब तक जारी है। नौ किलोमीटर की लंबाई वाले इस तटबंध का 2700 मीटर हिस्सा अभी भी काफी संवेदनशील है। तटबंध का यह ऐसा हिस्सा है जो पिछले चार साल से लगातार सुर्खियों में है। बाढ़ आते ही यहां के लोगों में दहशत बढ़ जाती है। पूरे सीजन भर यहां भगदड़ मचती है। यहीं पर बाढ़ खंड अपनी सारी ऊर्जा और धन भी लगाता है। वर्तमान समय में चूंकि बाढ़ का सीजन चल रहा है इसलिए बाढ़ खंड और प्रशासन का भी ध्यान यहां पर सर्वाधिक रहा। इस तटबंध के मात्र पौने तीन किलोमीट को बचाने के लिए बाढ़ खंड ने अब तक लगभग 15 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इसके बाद भी तटबंध की सुरक्षा को लेकर न तो बाढ़ खंड के अधिकारी संतुष्ट हैं और न ही स्थानीय निवासी। यहां पर नदी तटबंध पर लगातार दबाव बना रही है। आए दिन कहीं न कहीं कटान हो रही है। वर्तमान समय में भी नदी का जलस्तर काफी नीचे चला गया है उसके बाद भी तटबंध लगातार क्षतिग्रस्त हो रहा है।

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आए दिन कटान में बह जाता है तटबंध का बेस

16 जून से लगातार तटबंध की सुरक्षा के लिए बालू व मिट्टी भरी बोरियों, बोल्डर, ईंट के रोड़े से बेस बनाया जा रहा है। यहां नदी का दबाव इतना अधिक है कि बेस जैसे ही बनकर तैयार होता है नदी उसके नीचे की मिट्टी काट कर बहा ले जाती है। जिससे बोल्डर का बेस नदी में समा जाता है। यह क्रम लगातार चल रहा है। हर तीसरे-चौथे दिन तटबंध का बेस नदी में समा रहा है। यह क्रम कब तक चलेगा यह पता नहीं है। सोचने की बात है कि एक ही स्थान पर लगातार अनुरक्षण कार्य हो और वह टिकाऊ न हो तो कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठना स्वाभाविक है। यहां के लोगों में नाराजगी का कारण भी यही है। ग्रामीण कई बार तटबंध पर चल रहे अनुरक्षण कार्य को लेकर सवाल उठा चुके हैं। लोगों में आक्रोश को देखते हुए यहां पुलिस की भी व्यवस्था प्रशासन को करनी पड़ी थी।

---------- तीन ब्लाकों के गांवों की सुरक्षा करता है तटबंध

कटरिया-चांदपुर व चांदपुर-गौरा तटबंध से दर्जन भर से अधिक गांवों को सुरक्षा मिलती है। इसके अलावा रामजानकी मार्ग और पूरे विकास खंड के लोग सुरक्षित रहते हैं। जानकारों का कहना है कि यदि यहां बांध कटा तो जनपद का दुबौलिया, कप्तानगंज और कुदरहा ब्लाक का भी हिस्सा प्रभावित होगा। यही वजह है कि जैसे ही इस तटबंध पर आफत आती है तो प्रशासन के भी हाथपांव फूल जाते हैं। इस बार बाढ़ में एक बार ऐसी स्थिति आई जब प्रशासन को गांव खाली कराने के निर्देश देने पड़े।

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तटबंध पर अनुरक्षण कार्य के लिए अब तक साढ़े चौदह करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। तटबंध 90 फीसद सुरक्षित है। तब तक बाढ़ पूरी तरह से खत्म न हो जाए तब तक तटबंध पर सुरक्षात्मक उपाय होते रहेंगे। बाढ़ खंड के अधिकारी व कर्मचारी हर समय नजर बनाए रखे हैं। जहां भी जरूरत हो रही है अनुरक्षण कार्य किया जा रहा है।

ई. डीके त्रिपाठी, अधिशासी अभियंता, बाढ़ खंड


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