पढ़ाई के लिए भरपूर संसाधन,बेहतर परफारमेंस देना छात्रों की जिम्मेदारी
शरीर में किसी भी तरह के इंफैक्शन (संक्रमण) को मारने के लिए एंटी बाडी बनती है। कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों में तेजी से एंटी बाडी बनती है। ऐसे मरीजों के ब्लड से सेल अलग कर लिक्विड (द्रव) संरक्षित कर लेते हैं। यहीं प्लाज्मा है।
बस्ती : भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू की जयंती के अवसर पर दैनिक जागरण की ओर से चलाया जा रहा बाल संवाद कार्यक्रम विद्यार्थियों के लिए प्रेरक बन गया है। आए दिन कोई न कोई सफल व्यक्ति उनके सुनहरे भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। मंगलवार को भिन्न-भिन्न स्कूलों के विद्यार्थियों की मुलाकात महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कालेज, बस्ती के प्रधानाचार्य डा. नवनीत कुमार से कराई गई। उन्होंने विद्यार्थियों से संवाद के दौरान अपने तमाम अनुभव साझा किए। करियर एवं मेडिकल पढ़ाई से संबंधित सवालों का सटीक जवाब देकर विद्यार्थियों का बेहतर मार्गदर्शन किया। प्रधानाचार्य ने संवाद के बाद विद्यार्थियों को कालेज के विभिन्न संकाय के संग्रहालय भी दिखाए। कहा कि उनके समय में साइकिल से एमबीबीएस की पढ़ाई होती थी। अब समय बदल गया है। सभी तरह के संसाधन उपलब्ध हैं। इसलिए बेहतर से बेहतर परफारमेंस देना आज के विद्यार्थियों की जिम्मेदारी बन गई हैं। पेश हैं सवाल-जवाब के प्रमुख अंश-
प्रश्न : बायो ग्रुप के विद्यार्थी के लिए स्नातक में कौन सा सब्जेक्ट सबसे बेस्ट होता है। माइक्रो बायोलाजी पर आपकी क्या राय है?
उपासना सिंह, कक्षा- 12
उत्तर : आप अपने रुचि के अनुसार सब्जेक्ट का चयन कर सकते हैं। माइक्रो बायोलाजी पोस्ट ग्रेजुएट का विषय है। इंटरमीडिएट उत्तीर्ण होने के बाद मेडिकल की पढ़ाई कर सकते हैं।
प्रश्न : नीट परीक्षा में उत्तीर्ण न होने पर विद्यार्थियों के लिए अन्य विकल्प क्या है?
अंशिका पटेल, कक्षा- 12
उत्तर : इस परीक्षा के अलावा भी तमाम विकल्प है। बीएससी नर्सिंग,बीफार्मा,डीफार्मा,बायो टेक्नालाजी की पढ़ाई करें। सभी का महत्व है।
प्रश्न : कोविड मरीजों के लिए प्लाज्मा थेरैपी कितना लाभदायक है?
प्रयांशा वर्मा, कक्षा- 12
उत्तर : शरीर में किसी भी तरह के इंफैक्शन (संक्रमण) को मारने के लिए एंटी बाडी बनती है। कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों में तेजी से एंटी बाडी बनती है। ऐसे मरीजों के ब्लड से सेल अलग कर लिक्विड (द्रव) संरक्षित कर लेते हैं। यहीं प्लाज्मा है। इसमें मारक क्षमता अधिक होती है। कोविड मरीजों के लिए इसे बहुत कारगर तो नहीं कह सकते लेकिन इंफैक्शन को मारने में 30 से 40 फीसद यह मददगार जरूर है। इस बीमारी में दवाओं का भी बहुत रोल नहीं है।
प्रश्न : बायोलोजी प्रोफेसर बनना चाहती हूं, कैसे तैयारी करूं?
वानसी जायसवाल, कक्षा- 12
उत्तर : यदि आपके भीतर लगन है तो कुछ भी बन सकती हैं। जंतु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान और रसायन विज्ञान की ढंग से पढ़ाई करिए। परास्नातक के साथ नेट परीक्षा की भी तैयारी करें। इसे उत्तीर्ण करने के बाद स्कालरशिप मिलेगी और प्रोफेसर बनने का मार्ग भी प्रशस्त होगा।
प्रश्न : नीट परीक्षा में आने के बाद क्या चूज करें?
सुहेल सिद्दीकी, कक्षा- 12
उत्तर : इस परीक्षा में मेडिकल लाइन के सभी थीम इनक्लूड (समाहित) है। एमबीबीएस, बीएएमएस, डेंटल, यूनानी, होम्योपैथ सभी है। अपनी इच्छानुसार आप जो भी चूज करें। क्षेत्र कोई भी हो आपके भीतर यूनिक बनने की सोच बरकरार रहनी चाहिए।
प्रश्न: बायोटेक से रिसर्च करना चाहते है?
आदित्य चौधरी, कक्षा- 12
उत्तर : परास्नातक के बाद रिसर्च इंस्टीट्यूट ज्वाइन करें। वैसे पहले इसके लिए जानकारी एकत्र करिए। रिसर्च के लिए देश के 32 इंस्टीट्यूट का चयन हुआ था, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई। इंडिया में रिसर्च का बहुत स्कोप नहीं है। मैकेनिकल, मेडिकल सभी क्षेत्र में रिसर्च विदेशों के हैं। यह लंबा टास्क है।
प्रश्न : आइएएस की तैयारी के लिए क्या करें?
रितेश, कक्षा- 10
उत्तर : स्नातक तक विषयवार बेहतर पढ़ाई के साथ अपनी बौद्धिक क्षमता का भरपूर विकास करें। अखबार, मैगजीन पढ़कर परिपक्व बनिए। लक्ष्य हासिल होगा।
प्रश्न : नीट परीक्षा में कम अंक मिलने पर बीडीएस की पढ़ाई कर सकते है, सर्जन बनने के लिए क्या करना पड़ेगा?
गोपाल, कक्षा- 12, नवनीत शुक्ल, कक्षा- 10
उत्तर : बिल्कुल बीडीएस किया जा सकता है। इसमें भी अच्छा भविष्य है। सर्जन बनने के लिए पहले एमबीबीएस की पढ़ाई करिए। फिर एमएस करें। ध्यान रहे लक्ष्य पर एकाग्रता होनी चाहिए।
प्रश्न : मेडिकल कालेज का प्रिसिपल कैसे बना जा सकता है?
उत्तर : पीएचडी लेवल की पढ़ाई होनी चाहिए। दो रिसर्च पब्लिकेशन भी जरूरी है। इसके अलावा प्रशासनिक क्षमता में दक्ष और असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में बेहतर एकेडमिक रिकार्ड होना चाहिए। आपकी अतिरिक्त गतिविधियां भी मायने रखेंगी। इन्होंने भी किए सवाल
कक्षा 11 के सूरज वर्मा, 12 की अर्चना मिश्रा, पलक पांडेय, खुशी चौधरी, पूजा शर्मा, कक्षा- 10 के महेश कुमार, सन्नी निषाद, सुमित यादव, अनूप यादव, शशि यादव, गीता यादव एवं अर्पिता पाल ने प्रधानाचार्य से सवाल पूछे।
अहम बातें-
प्रधानाचार्य ने कहा कि विद्यार्थियों को सबसे पहले अच्छा व्यक्ति बनने की सोच रखनी चाहिए। सौ करोड़ कमाने के बाद भी हमारी भूख शांत नहीं है। दरअसल हम लंबे समय तक गुलाम रहे। इसलिए नौकर-साहब का यहां माहौल अभी खत्म नहीं हुआ है। हमारे जींस में भूख घर कर गई है। पहले पैसे का चलन नहीं था। लोग ईमानदार थे। अब पैसे का चलन हुआ तो भ्रष्टाचार बढ़ गया। जीवन में एक समय ऐसा भी आता है जब अर्जित धन बेमतलब लगने लगता है। दुनिया में सबसे खराब स्थिति भारतीय चिकित्सा की है। हमारे यहां मातृ एवं शिशु मृत्यु दर अन्य देशों की अपेक्षा कहीं ज्यादा है। इसीलिए सरकार प्रसूताओं और शिशुओं के लिए तमाम तरह की योजनाएं चला रही है। समाज में सभी तरह के लोग हैं। बस हम स्वयं गलत कार्य न करें। अच्छे समाज का निर्माण हो जाएगा। -
इन्होंने की कार्यक्रम की सराहना
दैनिक जागरण का यह बाल संवाद कार्यक्रम बहुत बढि़या लगा है। हमें मेडिकल कालेज के प्रिसिपल से मिलकर बहुत कुछ सीखने को मिला है। इसके लिए आयोजकों को धन्यवाद देते हैं।
सन्नी निषाद ,अमर ज्ञान इंटर कालेज, सपहा, बस्ती। विद्यार्थी जीवन में भटकाव की स्थिति रहती है। एक कुशल मार्गदर्शन की बहुत जरूरत होती है। दैनिक जागरण हमारा यह सपना पूरा कर रहा है। हम अखबार में नियमित इस कार्यक्रम को पढ़ते भी है।
अर्चना मिश्रा, परमेश्वर दत्त ईश्वरा देवी इंटर कालेज, बेलगड़ी, बस्ती। मेडिकल कालेज में आकर बहुत खुशी हुई। एक सफल व्यक्ति के रूप में प्रधानाचार्य ने जरूरी टिप्स दिए। इसके अलावा विभिन्न संकाय के भ्रमण का भी अवसर मिला।
अर्पिता पाल सरस्वती शिक्षा निकेतन, खम्हरिया, सपहा, बस्ती। दैनिक जागरण का यह आयोजन मेरे बेहतर भविष्य में सहायक सिद्ध होगा। पहली बार हम मेडिकल कालेज के भीतर पहुंचे हैं। तमाम ज्ञानवर्धक टिप्स मिले हैं। एक सफल नागरिक बनकर रहेंगे।
वानसी जायसवाल, सरस्वती बालिका विद्या मंदिर रामबाग, बस्ती। मेडिकल पढ़ाई से संबंधित मन में जितनी भी जिज्ञासा थी बाल-संवाद कार्यक्रम में शांत हो गई। सचमुच हम विद्यार्थियों के लिए दैनिक जागरण की यह पहल अच्छी है।
सूरज वर्मा, एससीआइ स्कूल, बस्ती। हमें आज अपने करियर की दृष्टि से सुनहरा अवसर मिला है। दैनिक जागरण का यह योगदान हमेशा याद रखेंगे। ऐसे आयोजनों की तारीफ होनी चाहिए।
आदित्य चौधरी, अपराइज स्कूल, बस्ती।