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किसी ने सराहा तो किसी ने बताया लालीपाप

सवर्णों को 10 फीसद आरक्षण पर मिली जुली प्रतिक्रिया

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Jan 2019 11:15 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jan 2019 11:15 PM (IST)
किसी ने सराहा तो किसी ने बताया लालीपाप
किसी ने सराहा तो किसी ने बताया लालीपाप

बस्ती : केंद्र सरकार द्वारा सवर्णों को दस फीसद आरक्षण दिए जाने की पहल पर मिलीजुली प्रतिक्रिया रही। किसी ने इस ओर सरकार के बढ़ते कदम की सराहना की तो कुछ को फौरी तौर पर गले के नीचे नहीं उतरा। सवर्णों की नब्ज टटोली गई तो यह रायसुमारी निकलकर सामने आई कि जातिगत आरक्षण के बजाय आíथक आधार पर आरक्षण देश के लिए हितकर है।

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जाति मुक्त हो संविधान

सवर्णों को दस फीसद आरक्षण आíथक आधार पर देने की बात की जा रही है। यह महज लालीपाप है। देश में एक व्यवस्था होनी चाहिए। जातिगत आरक्षण खत्म कर गरीबी के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था हो। सरकार दोहरा कार्य न करे। देश में जाति मुक्त संविधान बने।

दीनदयाल तिवारी, राष्ट्रीय अध्यक्ष सवर्ण लिब्ररेशन फ्रंट।

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सरकार का प्रयास सराहनीय

कौन किस जाति में हुआ यह उस व्यक्ति की गलती नहीं है। गरीब हर वर्ग में हैं। सरकार यदि गरीब सवर्ण को आरक्षण देने की बात कर रही है तो यह सराहनीय कदम है। जातिगत आरक्षण संविधान में केवल दस साल के लिए था। अब यह 70 साल का हो गया। सरकार इस पर विचार करे।

प्रेम प्रकाश श्रीवास्तव, पूर्व सहायक शासकीय अधिवक्ता, बस्ती।

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सवर्णों के आगे झुकी सरकार

फिलहाल सवर्णों के आगे सरकार झुकने का काम की है। यह हमारी पहली जीत है। आरक्षण और एससीएसटी मुद्दे पर लड़ाई जारी रहेगी। यूपी में हुए सपा-बसपा के गठबंधन के बाद सरकार को यह निर्णय लेना पड़ा। सभी को गरीबी के आधार पर आरक्षण सर्वमान्य होगा।

अभयदेव शुक्ल, राष्ट्रीय अध्यक्ष सवर्ण सेना।

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यह फैसला स्वागत योग्य

मोदी सरकार का यह फैसला स्वागत योग्य है। गरीब सवर्णों के उत्थान की गुंजाइश फिलहाल बनेगी। वैसे सरकार का फैसला आने के बाद ही कोई तर्क रखा जाए, तो ज्यादा उचित होगा।

शिवानी ¨सह, सामाजिक कार्यकर्ता।

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