श्रीरामलीला का हुआ शुभारंभ, मंचन देख मंत्रमुग्ध हुए दर्शक
पहले दिन मर्हिष नारद के मोह प्रसंग का मंचन हुआ। इस प्रसंग में नारद के मन में स्वयंवर का भाव उठता है। इसके लिए मर्हिष नारद हिमालय पर्वत पर एक गुफा में ध्यान में लीन हो जाते है।
बस्ती: बहुप्रतिक्षित सनातन धर्म रामलीला का मंगलवार को पं. अटल बिहारी वाजपेयी प्रेक्षागृह में भव्य शुभारंभ हुआ। नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष रूपम मिश्रा ने नारियल फोड़ कर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच जब भगवान विष्णु की आरती उतारी तो पूरा प्रेक्षागृह तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
पहले दिन मर्हिष नारद के मोह प्रसंग का मंचन हुआ। इस प्रसंग में नारद के मन में स्वयंवर का भाव उठता है। इसके लिए मर्हिष नारद हिमालय पर्वत पर एक गुफा में ध्यान में लीन हो जाते है। दूसरी तरफ आमोद प्रमोद में लीन इंद्रदेव की सिंहासन डगमगाने लगता है। वह इसका रहस्य जानने के लिए कालदेव को भेजते है। कालदेव इस रहस्य का पता लगाकर जब इंद्रदेव को बताते है, तब मर्हिष की तपस्या को भंग कराने के लिए कामदेव की मदद मांगते है। इसके पूर्व शिक्षक
योगेश शुक्ल ने रामलीला के महत्व को रेखांकित किया। कहा कि 40 वर्षो से वशिष्ठ की धरा पर रामलीला का मंचन नहीं हो रहा था। जिससे मन में एक टीस बनी हुई थी। जो आज खत्म हो गई। श्रीरामलीला महोत्सव आयोजन समिति के पंकज त्रिपाठी ने कहा कि आज की परिवेश में लोगों को श्रीराम के आदर्शों को जानना व समझना होगा। राम कण-कण में व्याप्त है। रामराज्य की कल्पना तब साकार होगी जब राम के परिवेश को अंतर मन से लोग स्वीकार कर लेंगे। वीरेंद्र त्रिपाठी, अशीष शुक्ल, आशीष श्रीवास्तव, विवेक मिश्र, कुंदन वर्मा, संतोष शुक्ल, राज कुमार पांडेय, कात्यायनी पांडेय मौजूद रहे।