जीवन की हर व्यथा मिटा देती है रामकथा
पाऊं और धनौवा में संगीतमयी श्रीराम कथा
जागरण टीम, बस्ती: रामकथा जीवन की हर व्यथा मिटा देती है। इसके श्रवण व अनुकरण से मानव जीवन संवर जाता है। राम के चरित्र का छोटा सा अंश यदि जीवन में उतारा जाय तो कुविचार का अंधकार मिट जाता है और अच्छे विचार जागृत हो जाते है। जिससे मानव का जीवन धन्य हो जाता है।
यह सद्विचार अवधधाम से पधारे मानस मर्मज्ञ मनुजी महाराज ने सोमेश्वरनाथ महादेव मंदिर पाऊं में चल रही नौ दिवसीय संगीतमयी रामकथा के सातवें राम विवाह के प्रसंग का वर्णन करते हुए व्यक्त किया। कहा कि मनुष्य को अपने संतान को धनवान नहीं संस्कारवान बनाना चाहिए। संस्कारवान व्यक्ति के जीवन में कभी सम्पत्ति की कमी नहीं आ सकती। संतान को नामकरण से ही संस्कार की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए नामकरण हमेशा श्रेष्ठ व्यक्ति से ही कराना चाहिए। क्योंकि जीवन में नाम का बड़ा प्रभाव पड़ता है। महाराज दशरथ ने भी अपने पुत्रों का नामकरण कुलगुरु वशिष्ठ से कराया था।
इस मौके पर आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं मंदिर के महंत पप्पू दास उर्फ नागा बाबा, ग्राम प्रधान अभिषेक पाण्डेय, पंकज सोनी, संत रामदास पहलवान, श्याम सुंदर दूबे, दिनेश शुक्ल आदि मौजूद रहे।
.......
रामचरित मानस, मानव समाज की आचार संहिता
काली मंदिर धनौवा पर चल रही संगीतमयी श्रीराम कथा में कथा वाचक अटल शास्त्री ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास का रामचरित मानस समूचे मानव समाज के लिए आचार संहिता के समान है। इस ग्रंथ से मर्यादा का पालन करने की सीख मिलती है। जो मानस में बताए गये मार्ग पर चलते हैं, उन्हें संकटों का सामना नहीं करना पड़ता है। मानस में जड़ चेतन सब में भगवान का वास माना गया है। कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने भौतिक सुख सुविधाओं को छोड़कर मर्यादा का पालन किया। इस मौके पर रामसहाय चौधरी,प्रमोद चौधरी ,शेष राम, पतिराम, साहब राम, सुशीला देवी आदि मौजूद रहे।