वर्चस्व की लड़ाई के लिए कबीर की हुई हत्या
छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष आदित्य नरायन उर्फ कबीर तिवारी के हत्यारे अभिजीत एवं प्रशांत शनिवार को आखिरकार पुलिस की चंगुल में आ ही गए। दोनों ने हत्या में इस्तेमाल हुए असलहे के बारे में भी पुलिस अधिकारी को बताया।
बस्ती : छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष आदित्य नरायन उर्फ कबीर तिवारी के हत्यारे अभिजीत एवं प्रशांत शनिवार को आखिरकार पुलिस की चंगुल में आ ही गए। दोनों ने हत्या में इस्तेमाल हुए असलहे के बारे में भी पुलिस अधिकारी को बताया।
एसपी ने कहा कबीर के हत्या की प्लानिग पहले से थी। अभिजीत व प्रशांत अपराध की दुनिया में अपना सिक्का जमाना चाहते हैं। यह घटना आपसी वर्चस्व की लड़ाई का परिणाम है। अब तक की जांच में दोनों का रोल घटना कारित कराने तक है। घटना के दिन प्रशांत व अभिजीत का लोकेशन घटनास्थल के पास ही पाया गया था। घटना के बाद दोनो साथ ही कार से लखनऊ और बाद में नोयडा चले गए। घटना में असलहा सप्लायर भोलू गुप्ता की तलाश की जा रही है।
पुलिस अधीक्षक हेमराज मीणा ने बताया कि कबीर तिवारी की हत्या में प्रयुक्त असलहे 35 हजार में खरीदे गए थे। इसमें एक पिस्टल और दो कट्टा। केवल पिस्टल 17 हजार रुपये में खरीदी गई थी। सारे असलहे नवरतन उर्फ भोलू गुप्ता ने ही मुहैया कराए थे। एसपी ने बताया अभिजीत फाइनेंस पर ली गई गाड़ियों को खिचवाने का काम करता था। इस कार्य में अनुराग और अभय भी उसका सहयोग करते थे। घटना के दिन प्रशांत पांडेय उर्फ मन्नू व अभिजीत सिंह, शूटर अनुराग और अभय तिवारी के लगातार संपर्क में थे। सभी की आपस में लगातार बात हो रही थी। मन्नू कबीर तिवारी के लोकेशन की सूचना शूटरों को लगातार दे रहा था। जैसे ही कबीर रंजीत चौराहे के पास पहुंचे अनुराग व अभय ने उन्हे गोली मार दी।
कबीर की हत्या का मोटिव अभी भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो पाया है। प्रशांत उर्फ मन्नू और अभिजीत घटना के बाद जब नोयडा चले गए तो प्रशांत की गिरफ्तारी बस्ती से कैसे हुई। तीसरा सबसे बड़ा सवाल यह है कि हत्याभियुक्तों को फाइनेंशियल और मोरल सपोर्ट कहां से मिला। अभिजीत के बारे में भी बस्ती पुलिस पूरी जानकारी नहीं दे पाई।