परिषदीय स्कूलों में भेजी गई आधी रकम
2 जुलाई से परिषदीय विद्यालय खुल जाएंगे। शासन के निर्देश पर व्यवस्था चाक चौबंद की जा रही है। निश्शुल्क ड्रेस के लिए शासन से बजट आवंटित हुआ। पहले चरण में आधी रकम मिली है।
बस्ती : 2 जुलाई से परिषदीय विद्यालय खुल जाएंगे। शासन के निर्देश पर व्यवस्था चाक चौबंद की जा रही है। निश्शुल्क ड्रेस के लिए शासन से बजट आवंटित हुआ। पहले चरण में आधी रकम मिली है। विभाग ने बिना देर किए इस धनराशि को परिषदीय स्कूलों के खाते में स्थानांतरित कर दिया। ताकि जुलाई प्रथम सप्ताह में ही बच्चों को ड्रेस से लाभान्वित किया जा सके। इसकी जिम्मेदारी प्रधानाध्यापकों को दी गई है। शैक्षणिक सत्र 2017 समाप्ति के बाद विभाग ने पुरानी छात्र संख्या 175791 के आधार पर ड्रेस के बजट की डिमांड शासन को भेजी थी। अप्रैल माह नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हुई। मगर निश्शुल्क ड्रेस के लिए शासन से धन आवंटित नहीं हुआ। ग्रीष्मावकाश के दौरान यह बजट आवंटित किया गया। जिससे जुलाई में स्कूल खुलने के दौरान ड्रेस का वितरण सुनिश्चित हो सके। प्रति छात्र 400 रुपये ड्रेस के मद में खर्च अनुमन्य है। इसमें दो सेट ड्रेस बच्चों को दिया जाता है। जनपद में प्राथमिक और जूनियर मिलाकर 2386 परिषदीय विद्यालय संचालित है। सभी विद्यालयों में आधी किश्त पहुंचा दी गई है। कुल 35158200 रुपये विद्यालयवार आवंटित हुए है। इसमें प्रत्येक छात्र को एक सेट ड्रेस मिलेगा। दूसरी किश्त इसके बाद आएगी।
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.. तो फिर खर्च हो जाएंगे 7 करोड़
ड्रेस वितरण को लेकर विभाग एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है। जिस छात्र संख्या पर ड्रेस के नाम पर वर्तमान सत्र में लगभग 7 करोड़ रुपये खर्च होना प्रस्तावित है। यह संदिग्ध माना जा रहा है। वजह यह कि जब बच्चों के नाम पर सरकारी धन के व्यय की बात आती है तो स्कूलों में सौ फीसद उपस्थिति बताई जाती है। मगर विभागीय अधिकारियों के निरीक्षण में उपस्थिति का आंकड़ा झूठा साबित होता है। बीइओ, बीएसए और डीएम तक ने अपने निरीक्षण में बच्चों की मौजूदगी की दशा दयनीय पाई है। सबसे बड़ी बात कि अर्धवाíषक एवं वाíषक परीक्षा में भी बच्चों की उपस्थिति इस संख्या से बेहद कम होती है। अब जब परीक्षा और पढ़ाई में बच्चे नहीं आते तो ड्रेस वितरण के दौरान कैसे उपस्थिति हो जाते हैं। या नामांकन ही केवल ड्रेस की लालच में होता है या फिर जिम्मेदार इस योजना में बड़ा खेल कर रहे हैं। बहरहाल यही हाल मध्याह्न भोजन योजना में भी है। गिने चुने स्कूलों को छोड़ दें सौ फीसद उपस्थिति कहीं नहीं और मिड-डे-मील का खर्च कहीं ज्यादा होता है। इसके लिए बच्चों का उपस्थिति रजिस्टर सप्ताहवार भरा जाता है।
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अभी तक पहुंचीं पाठ्य पुस्तकें
परिषदीय स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई का सबसे आवश्यक पाठ्य पुस्तकें अभी तक नही पहुंची हैं। ग्रीष्मावकाश समाप्त होने वाला है। अप्रैल से मई तक नए सत्र की पढ़ाई भी हुई। जुलाई में स्कूल खुलने वाला है। विभाग किताबों के इंतजार में है। यही हाल रहा तो जुलाई में नई किताबों के साथ बच्चों का पठन पाठन नहीं शुरू हो पाएगा। अभी समय था। यदि किताब की आपूíत होती तो स्कूलवार इसे व्यवस्थित कर लिया जाता। जुलाई के प्रथम सप्ताह में ही वितरण पढ़ाई शुरू हो जाती। मगर अगले माह भी किताब के लिए बच्चों और शिक्षकों को इंतजार करने के संकेत मिल रहे है।
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विभाग स्तर से कोई भी कार्य लंबित नहीं
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अरूण कुमार ने कहा कि विभागीय स्तर से कोई कार्य लंबित नहीं है। ड्रेस का पैसा आते ही स्कूलों में आवंटित कर दिया गया है। किताब भी जल्द आने की उम्मीद है। जिले स्तर पर प्राप्त होते ही इसे विद्यालयों में पहुंचाने की व्यवस्था तुरंत की जाएगी। जहां ड्रेस वितरण की बात है तो बच्चों की उपस्थिति जांची जाएगी।