बिना उपयोग में आए ही जर्जर हो गए पंचायत भवन
एक दर्जन ग्राम पंचायतों के भवन हो गए जीर्ण-शीर्ण - निर्माण के बाद से उपयोग में नहीं लाए गए भवन
बस्ती : पंचायती राज व्यवस्था को सु²ढ़ बनाने के उद्देश्य पर पानी फिर गया है। ग्राम पंचायतों के कामकाज निपटाने के लिए बनाए गए ग्राम सचिवालय भवनों की उपयोगिता न के बराबर है। करोड़ों खर्च कर संवारे गए यह भवन देखरेख के अभाव में अब कंडम हो गए है। यह भवन कहीं गोबर रखने के काम आ रहे हैं तो कहीं पशुशाला का रूप अख्तियार कर लिए हैं।
गिनती के ग्राम पंचायत सचिवालयों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश की दशा दयनीय हो गई है। यह भवन कूड़े करकट और गंदगी से बदरंग हो गए हैं। केवल धन खपाने के उद्देश्य से इन भवनों का निर्माण हुआ। जिम्मेदार इसे कभी उपयोग में लाए ही नहीं। इन भवनों में न तो खुली बैठकें आयोजित होती है और न ही ग्राम पंचायत स्तर के विकास, राजस्व एवं अन्य सरकारी योजनाओं के संचालन का केंद्र बनाया जा सका। जिम्मेदार यहां आकर कार्य करने से खुद परहेज करते हैं। विकास खंड के ग्राम पंचायत पकरी सोयम, बाघाडीह, बजहा आदि गांवों में दस वर्ष पूर्व बनाए गए इन भवनों की स्थिति जीर्ण-शीर्ण हो गई है। खिड़की, दरवाजे, शौचालय सब टूटकर बिखर चुके हैँ।
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बनाए जा रहे नए भवन
पुराने भवनों की उपयोगिता सुनिश्चित नहीं हो पाई है। फिर नए भवन बनाए जा रहे हैं। ग्राम पंचायत टिकरी में 17 लाख 46 हजार रुपये की लागत से मिनी सचिवालय तैयार होने की स्थिति में है। 4 कमरे, दो शौचालय, स्नानघर और चारों तरफ चहारदीवारी का निर्माण कार्य कराया जा रहा है।
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ग्राम पंचायतों में बनाए गए ग्राम सचिवालय भवनों को उपयोगिता में लाने के निर्देश दिए जाएंगे। ग्राम पंचायत स्तर के सभी सरकारी आयोजन इन्हीं भवनों में होने चाहिए।
प्रभारी एडीओ पंचायत, रुधौली।