पति के इलाज व बच्चों की परिवरिश को खोली चाय की दुकान
लाकडाउन में रोजी-रोटी को मोहताज हो गया परिवार
जागरण संवाददाता, दुबौलिया, हर्रैया बस्ती : पति के इलाज और बच्चों की परवरिश के लिए एक महिला ने लोक लाज छोड़ खुद का व्यवसाय शुरू किया। आज अपने मेहनत की बदौलत वह बीमार पति का इलाज भी करा रही है साथ ही परिवार का भरण पोषण भी कर रही है।
दुबौलिया थाना क्षेत्र के खलवां गांव आशा और उनके पति मंगल दोनों अनपढ़ हैं। पति मंगल दिल्ली में रहकर मेहनत मजदूरी कर पत्नी और अपने तीन बच्चों कृष्णा (8), अंकित (6) और गोलू (4) का भरण पोषण कर रहा था। पति की कमाई पर परिवार का गुजर बसर हो रहा था। इसी बीच कोरोना महामारी को देखते हुए लाकडाउन लागू हो गया तो पति मंगल दिल्ली से गांव आ गया। इसी बीच उसकी तबियत खराब हो गई। जांच कराने पर पता चला कि उसे टीबी की बीमारी है। डाक्टर ने उसे दवा के साथ ही बेड रेस्ट की सलाह दी। ऐसे में आशा के सामने परिवार के भरण पोषण के साथ ही पति के इलाज की चुनौती आ गई। आर्थिक तंगी झेल रही आशा ने गांव के कुछ लोगों से आर्थिक मदद लेकर पति का इलाज व तीन बच्चों की परवरिश के लिए गांव के पास ही धर्मूपुर चौराहे पर जलपान की दुकान खोल ली। इससे हो रही आमदनी से वह पति का इलाज कराने के साथ ही बच्चों का भी भरण पोषण कर रही है। आशा ने बताया कि उसके पास सरकारी मदद के नाम पर एक पात्र गृहस्थी राशन कार्ड और शौचालय मिला है। खेत के बारे में बताया कि कुछ बिस्वा जमीन है।