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न चिकित्सक न स्टाफ, स्वीपर के भरोसे अस्पताल

गांव के सरकारी अस्पताल खुद बीमार होकर वेंटीलेटर पर चले गए हैं। यहां इलाज की सुविधा बेमानी है। चिकित्सक न स्टाफ न ही पर्याप्त दवाएं फिर भी अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं आल-इज-वेल बताने के दावे की मंझरिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पोल खोल रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 10 Jan 2020 10:32 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jan 2020 10:32 PM (IST)
न चिकित्सक न स्टाफ, स्वीपर के भरोसे अस्पताल
न चिकित्सक न स्टाफ, स्वीपर के भरोसे अस्पताल

बस्ती : गांव के सरकारी अस्पताल खुद बीमार होकर वेंटीलेटर पर चले गए हैं। यहां इलाज की सुविधा बेमानी है। चिकित्सक न स्टाफ ,न ही पर्याप्त दवाएं फिर भी अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं आल-इज-वेल बताने के दावे की मंझरिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पोल खोल रहा है।

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मुख्यालय से पांच किमी. दूरी पर सदर ब्लाक के मंझरिया में संचालित पीएचसी बदहाल है। चिकित्सक, स्टाफ न होने से यहां मरीजों की संख्या कम हो गई है। इक्का-दुक्का मरीज यदि अस्पताल में पहुंच भी जाएं तो उन्हें खांसी-जुकाम व बुखार का टेबलेट देकर भेज दिया जाता है। इमरजेंसी में काम आने वाली दवाएं व सूई नहीं हैं। अस्पताल पर 10 हजार से अधिक लोग निर्भर हैं। शुक्रवार को जागरण टीम ने पीएचसी के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी ली तो हकीकत उलट दिखे। चिकित्सक गायब थे। पूछने पर पता चला कि डा. रवि वर्मा यहां अटैच हैं। तीन दिन बैठते हैं। शेष दिन रामपुर पीएचसी में बैठते हैं। फार्मासिस्ट जितेंद्र कुमार साढ़े 12 बजे तक नहीं दिखे। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी मो. हसन बाहर कुर्सी पर धूप सेकते दिखे। बताया कि अभी मरीज नहीं आए हैं। यदि आएंगे तो दवा जरूर देंगे। बाकी स्टाफ कहां है पता नहीं। पीएचसी में ओटी व लैब बना है लेकिन ताले में कैद रहता है। ड्रेसिग रूम में दवाओं की बात कौन कहे मरहम पट्टी तक नहीं दिखा। दवा वितरण कक्ष में एक्सपायर के कगार पर पहुंच चुकी दवाएं रखीं मिली। चिकित्सक कक्ष सूना रहा। दो वार्ड में तीन बेड दिखे। चिकित्सक आवास पर दूसरे कर्मचारियों ने कब्जा जमा लिया है।

सीएमओ डा. जेपी त्रिपाठी ने बताया कि पीएचसी में सुविधाएं पर्याप्त है। चिकित्सक, स्टाफ क्यों नहीं थे, इसकी जांच कराई जाएगी। जवाब मांगा जाएगा।


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