बसों के रखरखाव में बरती जा रही लापरवाही
बुश नहीं बदले जाने से बढ़ जाता है हादसे का खतरा
जागरण संवाददाता, बस्ती : परिवहन निगम की बसों के रखरखाव में बड़े पैमाने पर लापरवाही बरती जा रही है। इसका पर्दाफाश विभागीय जांच पड़ताल में हुआ है। लक्ष्य के अनुसार बसों में बुश नहीं लगाए जाने की शिकायतें भी आनी शुरू हो गई थीं।
रोडवेज की बसों में 40 हजार किमी दूरी तय करने के बाद बस के अगले पहिया में दो और पीछे के पहिया में दो यानी चार केम साफ्ट बुश लगाना अनिवार्य होता है। यदि यह बुश नहीं लगाते हैं तो साफ्ट में चाल रहती है। इससे ब्रेक लगाने में समस्या आती है। हर साल इसके लिए बसों के अनुपात के हिसाब से लक्ष्य जारी होता है। लक्ष्य के सापेक्ष बुश लगाने में गोरखपुर परिक्षेत्र के कार्यशाला काफी पीछे हैं।
उप मुख्य यांत्रिक अभियंता परिवहन निगम मुख्यालय आरएन वर्मा ने सभी क्षेत्रीय प्रबंधकों व सहायक क्षेत्रीय प्रबंधकों को पत्र से अवगत कराया है कि एक मार्च 2019 से 29 फरवरी 2020 की अवधि की खपत केंद्रीय भंडार को फोरकास्ट के साथ उपलब्ध कराई गई है। अवलोकन से स्पष्ट हुआ कि केम साफ्ट बुश की खपत बेहद कम है। पत्र में कहा गया है कि ऐसा लगता है कि बुश लगाने के बजाए केवल ग्रीसिग व ब्रेक-शू लाईनिग बदलने का कार्य हो रहा है। पुराना साफ्ट बुश लगा होने के कारण ब्रेक में समस्या पैदा हो रही है। इस साल गोरखपुर परिक्षेत्र में 1170 केस साफ्ट बुश लगाया जाना था, लेकिन इसकी खपत नहीं की जा सकी। अगले पहियों में 30 जबकि पिछले में 18 बुश ही लगाया जाना दर्शाया गया है।
पत्र में चेताया गया है कि यह स्थिति ठीक नहीं है। मेंटीनेंस निर्धारित प्रक्रिया में कराए जाएं अन्यथा कार्रवाई की जाएगी। बस्ती रोडवेज डिपो कार्यशाला के सीनियर फोरमैन चंद्रभान भास्कर बताते हैं कि जरूरत के हिसाब से ही बसों में केम साफ्ट बुश लगाया जाता है। दूसरी तरफ तमाम बस चालकों ने कार्यशाला में मरम्मत में लापरवाही बरते जाने का आरोप लगाया है।