शहीद हजरत अली असगर की याद में निकला मातमी जुलूस
जुलूस के पहले मजलिस निकाला गया
बस्ती: कर्बला के नन्हें शहीद हजरत अली असगर की याद में गांधी नगर में झूले का मातमी जुलूस निकाला गया। सोगवारों ने नौहा व मातम करके अली असगर की शहादत को याद किया और आंसू बहाए। छठवीं मोहर्रम को इमाम हुसैन के सबसे छोटे बेटे अली असगर की याद में इमामबाड़ा शाबान मंजिल से मातमी जुलूस निकाला गया। अली असगर कर्बला के मैदान में छह माह के थे। इमाम हुसैन को जब अपने इस छोटे बेटे की प्यास देखी न गई तो वे जंग के मैदान में बच्चे को लेकर आए और यजीदियों से दो घूंट पानी बच्चे को पिलाने को कहा। यजीदियों ने बच्चे की प्यास बुझाने के बजाए तीर चलाकर शहीद कर दिया। इमामबाड़े में जुलूस से पहले मजलिस का आयोजन हुआ। मौलाना मोहम्मद हैदर ने कहा कि कर्बला के मैदान में तमाम इस्लामी और मानवीय मूल्यों को पामाल किया जा रहा था। जिस इस्लाम ने पानी पर सभी का अधिकार बताया है, उसी इस्लाम के पैगम्बर के नवासे और उनके घर वालों को तीन दिनों तक भूखा-प्यासा रखा गया। इमाम ने बच्चे को कर्बला के मैदान में दफन कर दिया था, लेकिन यजीदियों ने उस मासूम की कब्र को खोदकर शव से सिर को काट लिया। अली असगर पर हुए इस जुल्म ने पत्थर दिल इंसानों को भी रुला दिया था। जुलूस में सुहेल हैदर, मोहम्मद रफीक, साबिर रिजवी, आसिफ रिजवी, सोनू, जैन, अन्नू सहित अन्य ने नौहा ख्वानी की। इसी क्रम में इमामबाड़ा एजाज हुसैन, खुर्शेद हसन, सगीर हैदर, रियाजुल हसन खां, लाडली मंजिल में मजलिसों का आयोजन हुआ। ताजवर हुसैन, सफदर हुसैन, फरहत हुसैन, जावेद, शमसुल हसन, शमीम हैदर, मोनू, सिराजू, अनसर आमिर, शम्स आबिद, शानू, राजू, मुन्ने, नकी हैदर, अरशद, मेराज हैदर शामिल रहे। इसके अलावा शहर के विभिन्न हिस्सों में मातमी जुलूस निकाला गया। युवक बहादुरी के तरह-तरह के करतब दिखाते सड़क पर चल रहे थे। जुलूस में ढोल-तासे बजाए जा रहे थे।