फर्नीचर उद्योग से गुलजार नहीं हुआ बाजार
एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना कारगर नहीं हो पाई। लकड़ी कारीगरों की अधिकता के कारण शासन ने बस्ती को फर्नीचर उद्योग के लिए चयनित किया। योजना का लाभ न तो कारीगर तक पहुंचा न उद्यमियों तक। अभी तक केवल दो लघु उद्यमी ही योजना के पात्र बन पाए हैं। विभाग महज सात उद्यमियों के लक्ष्य पर निर्भर है। बाकी पांच उद्यमी कौन होंगे तय नहीं है।
बस्ती : एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना कारगर नहीं हो पाई। लकड़ी कारीगरों की अधिकता के कारण शासन ने बस्ती को फर्नीचर उद्योग के लिए चयनित किया। योजना का लाभ न तो कारीगर तक पहुंचा न उद्यमियों तक। अभी तक केवल दो लघु उद्यमी ही योजना के पात्र बन पाए हैं। विभाग महज सात उद्यमियों के लक्ष्य पर निर्भर है। बाकी पांच उद्यमी कौन होंगे तय नहीं है। योजना में लकड़ी उद्यमी को एक करोड़ रुपये तक का ऋण अनुमन्य है। 25 लाख तक 25 फीसद और इससे अधिक के ऋण पर 20 फीसद सब्सिडी है। शुरू में 1.40 करोड़ सब्सिडी का लक्ष्य रखा गया। इसके सापेक्ष 49 लाख रुपये की पहली किश्त आवंटित हुई। जब पात्र नहीं मिले तो शासन ने आवंटित धनराशि को ही लक्ष्य मान लिया। अब 1.96 करोड़ रुपये का ऋण अवमुक्त कराकर सात लोगों को योजना से लाभान्वित करना है। सिकंदरपुर व हैदराबाद में कुछ लोग व्यक्तिगत प्रयास से कारोबार कर रहे हैं।
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बैंकों में धूल फांक रहीं फाइलें
विभाग ने फर्नीचर उद्योग से जुड़े 30 आवेदनों को स्वीकृत कर विभिन्न बैंकों में प्रेषित कर दिया। इसमें से शहर के ओरीजोत मोहल्ला निवासी लक्ष्मी सोनकर और शिवाकालोनी के प्रांजल ¨सह को ही 10-10 लाख का ऋण अवमुक्त हो पाया। ओडीओपी की शेष 28 फाइलें बैंकों में धूल फांक रही हैं। सब्सिडी के डंप 44 लाख रुपये से अभी 1.76 करोड़ रुपये का ऋण वितरित हो सकता है। दरअसल विभाग और बैंक के नियमों में उलटफेर है। बैंक ऋण के संपूर्ण धनराशि की गारंटी चाहता है। इसीलिए यहां अधिकांश आवेदन निरस्त हो जाते हैं।
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शीघ्र दिलाया जाएगा पात्रों को ऋण
ओडीओपी में पात्रों का चयन कर लिया गया है। दो आवेदकों को ऋण मुहैया हो गया है। शेष लाभार्थियों को जल्द ही ऋण दिलाया जाएगा।
उदय प्रकाश पासवान, उपायुक्त, उद्योग।