वर्षों बाद मिला परिवार संग ईद मनाने का मौका
परिवार संग ईद मनाने का मौका मिलने पर खुश दिख रहे प्रवासी
बस्ती: कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन ने उन लोगों को वर्षों बाद अपने परिवार के साथ ईद मनाने का मौका दिया है, जो रोजी-रोटी की तलाश में वर्षों से परिवार से दूर शहर में रह रहे थे।
रोजी-रोटी की तलाश में लोग अपनों को गांव छोड़ शहरों में जाकर सिर्फ इसलिए मेहनत मजदूरी करते हैं, कि उनका परिवार खुश रह सके । परिवार से दूर रहकर परिजनों की जरूरतें पूरा करने वाले हर त्योहार से महरूम रह जाते हैं। लॉकडाउन के चलते इस वर्ष बनकटी विकास क्षेत्र के बरहुआं निवासी अली हुसैन अपनी पत्नी इशराकुन हुसैन खान, बेटे सुफियान खान और अयान खान के साथ सात वर्ष बाद गांव आए हैं। वह मुंबई के मुम्ब्रा में रहकर ट्रांसपोर्ट का काम करते हैं। महथा निवासी बदरुद्दोजा खान अपनी पत्नी सफीकुन्निशा और मां नाजमा खान के साथ मुंबई के साकीनाका में रहते हैं। काम बंद होने से छह साल बाद गांव आएं हैं। घर में खुशी का माहौल है।
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छह साल बाद लौटे घर लौटने का मौका मिला है। वह भी ऐसे हालात में जब पूरा मुल्क कोरोना से परेशान हैं। ईद मनाने की हिम्मत नहीं हो रही है। परिवार में एक साथ रहकर त्योहार मनाने का अपना अलग ही मजा होता है। इस बार की ईद कोरोना से बचाव को देखते हुए मनेगी।
-बदरुद्दोजा खान, महथा।
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त्यौहारों पर गांव आने की इच्छा होती थी लेकिन जरूरतें पांव पकड़ लिया करती थी। इस बार खुदा ने यह मौका दिया है। कितु जब देश संकट में हो तो त्योहार मनाने में खुशी कैसे मिले? शारीरिक दूरी का ध्यान रखकर ईद मनाई जाएगी।
-अली हुसैन, बरहुआ।