Move to Jagran APP

अखबार की कतरन से संवार रहे ¨जदगी

कला एवं हस्तशिल्प के माहिर आलोक शुक्ल अपनी दक्षता का लोहा अब गांव के परिषदीय स्कूल से निकलकर राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के प्रदर्शनी में मनवा रहे हैं। इन्हें बहुत संसाधन की भी जरूरत नहीं पड़ती।

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Jul 2018 11:07 PM (IST)Updated: Sun, 29 Jul 2018 11:07 PM (IST)
अखबार की कतरन से संवार रहे ¨जदगी
अखबार की कतरन से संवार रहे ¨जदगी

बस्ती : कहते हैं न हुनर पहचान की मोहताज नहीं होता। सचमुच यदि कला है तो कहीं भी रहे निखार आना ही है। कला एवं हस्तशिल्प के माहिर आलोक शुक्ल अपनी दक्षता का लोहा अब गांव के परिषदीय स्कूल से निकलकर राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के प्रदर्शनी में मनवा रहे हैं। इन्हें बहुत संसाधन की भी जरूरत नहीं पड़ती। बस अनूठी कला है। सामग्री में रदी कागज के टुकड़े यानि अखबार का कतरन, गोंद और कुछ कलर। इन्हीं से तैयार हो रहे एक से बढ़कर एक उपयोगी सामान। जिसे देखते ही हर कोई इस कला का मुरीद बन जाता है। अब तो आलोक के साथ सरकारी पाठशाला के नौनिहाल भी हुनरमंद बन रहे हैं। गौर विकास क्षेत्र का उच्चतर प्राथमिक विद्यालय कवलसिया बेसिक शिक्षा परिषद की शान बन गया है। राष्ट्रीय स्तर तक के सरकारी एवं गैर सरकारी कला एवं हस्तशिल्प के मेलों में परिषद के इस विद्यालय की अपनी अलग पहचान है। वर्ष 2013 में कला एवं शिल्प शिक्षक आलोक जब अनुदेशक के पद पर तैनात हुए तो यह विद्यालय दयनीय दौर से गुजर रहा था। इनकी कला एवं शिल्प में निपुणता ने इस विद्यालय को पहचान दिला दी है। गांव के बच्चे कला शिक्षक के सानिध्य में हुनरमंद बन रहे हैं। अखबार के कतरन से आकर्षक और लुभावने सजावटी सामान तैयार होने लगे। फ्लावर पाट, पेन स्टैंड, टी कोस्टर, फ्लैग स्टैंड जैसे रंग बिरंगे वस्तु बनाने में आलोक की टोली माहिर हो चली है। शुरुआती दौर में ऐसे सामान की प्रदर्शनी ब्लाक और जिला स्तर पर लगाई गई तो विशिष्टजनों ने इस हस्तशिल्पी की सराहना की। हौसला बढ़ा तो आलोक, बच्चों की टीम के साथ बड़े आयोजनों में प्रतिभाग करने लगे। पर्यावरण की दृष्टि से भी यह हस्तशिल्प उपयोगी साबित हो रहा है।

loksabha election banner

---

इन जगहों पर मिल चुका है पुरस्कार केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी बस्ती में आयोजित प्रदर्शनी में पहुंची तो बच्चों के संग अनुदेशक की कला देख ठहर गईं। गुलदस्ता, फ्लावर पाट, पेन स्टैंड, फ्लैग स्टैंड आदि देखकर मंत्रमुग्ध भी हुईं। हाथ से छूने के बाद ही यह पता चल पाया कि यह रद्दी कागज से बने हैं। विद्यालय के रजिस्टर में उन्होंने खुद तारीफ की लाइनें लिखी। वर्ष 2015 में सूरज कुंड, प्रयाग, दिल्ली में कौशल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित हस्तशिल्प मेला में भी यह हुनर खूब सराहा गया। लखनऊ में आयोजित मेले में प्रदेश सरकार की मंत्री रीता बहुगुणा जोशी और अनुपमा जायसवाल ने इन सामग्रियों की खरीदारी की।

-----

18 बच्चों की बन गई टोली

कला एवं हस्तशिल्प शिक्षक आलोक शुक्ल की टोली में 18 बच्चे शामिल हैं। जो रदी में फेंके जाने वाले कागज से उपयोगी सामान बनाते हैं। आलोक को राज्य एवं केंद्रीय संस्थाओं द्वारा कार्यशाला में बतौर प्रशिक्षक आमंत्रित किया जा रहा है। आलोक ने कहा कला के बूते ही उन्हें बड़ी पहचान मिली है। विभाग भी पूरा सहयोग कर रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.