उपमुख्य परिवीक्षा अधिकारी पर लगे आरोपों की जांच शुरू
उपमुख्य परिवीक्षा अधिकारी ने दिसंबर 18 में मांगा कार्यालय का बजट -जनवरी 2019 में आया धन एक महीने में निकाल गए आठ लाख रुपये
बस्ती : उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारी पर कार्यालय मद में आए दस लाख से अधिक के गोलमाल के लगे आरोपों की जांच शुरू हो गई है। आयुक्त अनिल सागर ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच अपर आयुक्त न्यायिक को सौंपी है। जांच शुरू होने की भनक लगते ही उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारी बचाव का तरीका ढूंढने में जुट गए हैं। मुख्यमंत्री तक पहुंची शिकायत
रुधौली के विधायक संजय प्रताप जायसवाल की शिकायत पर यह जांच शुरू हुई है। मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में विधायक ने कहा है नरेंद्र प्रताप सिंह उपमुख्य परिवीक्षा का बस्ती में कोई कार्यालय नहीं है। यह बस्ती में दो साल से अधिक समय से तैनात हैं। वित्तीय वर्ष 18-19 में कार्यालय की स्थापना के मद में आए आठ लाख रुपये निकाल लिए गए।
उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारी के कार्यालय में एक लिपिक और दो चपरासी कार्यरत हैं। कार्यालय न होने के चलते यह कर्मचारी इधर उधर भटक रहे हैं। इससे साबित हो रहा है उपमुख्य परिवीक्षा अधिकारी का शासकीय कार्य में कोई रूचि नहीं है। एक महीने में निकाला आठ लाख
कार्यालय की स्थापना के लिए उपमुख्य परिवीक्षा अधिकारी ने दिसंबर 18 में बजट की डिमांड की थी। इस क्रम में जनवरी 2019 में धन आवंटित कर दिया गया। कार्यालय व्यय मद में दो लाख,लेखन सामग्री मद में डेढ़ लाख,कार्यालय फर्नीचर मद में तीन लाख और कंप्यूटर अनुरक्षण मद में डेढ़ लाख रुपये मुहैया कराए गए। आनन फानन में यह धनराशि निकाल ली गई। हकीकत यह है साहब 70 किमी दूर गोरखपुर में रहते हैं। इनके मोबाइल के लोकेशन से ही पूरा पोल खुल जाएगा। सच कौन अफसर या चपरासी
उपमुख्य परिवीक्षा अधिकारी नरेंद्र प्रताप सिंह ने जागरण से बातचीत में छह दिन पहले बताया उनका कैंप कार्यालय गांधी नगर में है जहां से वह उपमुख्य परिवीक्षा अधिकारी का कार्य संपादित करते हैं जबकि गुरुवार को चपरासी अशोक कुछ और ही पता बताने लगे। कहा चार महीने से साहब मुरलीजोत में रहते हैं,यहीं पर आफिस भी है। अब आप ही देखिए सच बोल रहे हैं या चपरासी।