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आम के पेड़ों पर लदे बौर को देख किसान खुश

महराजगंज: जिस तरह से आम के पेड़ों पर बौर लदा है उससे तो यही अनुमान लगाया जा सकता है कि अगर मौसम ने सा

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Mar 2019 12:08 AM (IST)Updated: Sun, 17 Mar 2019 12:08 AM (IST)
आम के पेड़ों पर लदे बौर को देख किसान खुश
आम के पेड़ों पर लदे बौर को देख किसान खुश

महराजगंज: जिस तरह से आम के पेड़ों पर बौर लदा है उससे तो यही अनुमान लगाया जा सकता है कि अगर मौसम ने साथ दिया तो इस साल फलों के राजा आम की फसल अच्छी होगी। शौकीनों को भी खूब आम खाने को मिलेगा। इस बार आम उत्पादन के पिछले सारे रिकार्ड टूट जाएंगे। आम का फल सुगंधित और पौष्टिक होता है, जिसमें विटामिन ए प्रचुर मात्रा में होती है। इस बार आम की फसल अच्छी होने की उम्मीद है। आम के बागों में बौर खूब लदा दिख रहा है। किसानों का कहना है कि कई साल बाद इस तरह का बौर लगा है। क्षेत्र के हरदीडाली, रामनगर, अड्डा बाजार, रतनपुर, बरगदवा, कजरी, टेढ़ी घाट, जंगल गुलरिहा, अमहवा, समरधीरा, मोहनापुर, लक्ष्मीपुर, परसामलिक, खैराटी, खोरिया, बरगदवा आदि स्थानों पर आम के बड़े-बड़े बाग हैं। वैसे दशहरी ऐसी प्रजाति है जिसे सबसे अधिक लोग पसंद करते हैं। इसका स्वाद अन्य प्रजाति के मुकाबले कहीं बेहतर होता है। आम के पेड़ों पर लगे बौर को देख किसान बहुत खुश हैं। किसान मुरलीधर, राममोहन, संतराज, प्रभुनाथ, किशोरी, श्यामसुंदर, तुफानी, केशव, रामबली, सरजू आदि का कहना है कि अभी तक तो मौसम ठीक है। इससे उम्मीद जगी है कि आम के फल का उत्पादन पिछले वर्ष से अधिक होंगे। जिससे आमदनी भी अच्छी होगी।

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कीटों और रोगों से ऐसे बचाएं:

भुनगा कीट कोमल पत्तियों एवं छोटे फलों से रस चूसकर हानि पहुंचाते हैं। पत्तियों पर काले रंग की फफूंद आ जाती है। प्रभावित भाग सूखकर गिर जाता है। मिज कीट मंजरियों और तुरंत बने फलों तथा बाद में मुलायम कोपलों में अंडे देती है। सूंडी अंदर ही अंदर क्षति पहुंचाती है। भुनगा एवं मिज कीट के लिए इमिडाक्लोरोप्रिड दो मिली प्रति लीटर या मोनोक्रोटोफास दो मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।

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खर्रा से भी पहुंचता है नुकसान:

खर्रा रोग के प्रकोप से ग्रसित फल एवं डंठलों पर सफेद चूर्ण के समाना फफूंद दिखाई देती है। इससे प्रभावित फल पीले पड़कर गिरने लगते हैं। रोग से बचाव के लिए ट्राइकोडर्मा एक मिली या डायनोकेप एक मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।


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