धर्म की रक्षा के लिए अवतरित होते हैं भगवान
जब-जब अत्याचार और पापाचार बढ़ा है, तब-तब समाज और धर्म की रक्षा के लिए ईश्वर ने पृथ्वी पर अवतार लेकर पापियों का संहार किया। संसार को भय मुक्त किया। यह बात अवध धाम से आए कथा वाचक अभिषेकानंद ने कहीं।
बस्ती: जब-जब अत्याचार और पापाचार बढ़ा है, तब-तब समाज और धर्म की रक्षा के लिए ईश्वर ने पृथ्वी पर अवतार लेकर पापियों का संहार किया। संसार को भय मुक्त किया। यह बात अवध धाम से आए कथा वाचक अभिषेकानंद ने कहीं। बताया कि राक्षसों का अत्याचार संतों पर बढ़ा तो पृथ्वी पर भगवान ने उनका संहार किया। कथा में प्रमोद चौधरी, संराम,अनंत राम ,रामरतन सहित तमाम श्रद्धालु मौजूद रहे। कलवारी चौराहे पर नवरात्र चल रही कथा में कथावाचक कनकेश्वरी ने कहा कि मनुष्य भ्रम के वशीभूत रहता है। ईश्वर की आराधना में भ्रम का स्थान नहीं है।अन्त:करण की शुद्धि के लिए कर्म, योग, भोग, भाषा व शुद्ध ¨चतन आवश्यक है। जब ¨चतन शुद्ध होता है तो अंत:करण शुद्ध हो जाता है। बसंतलाल ,संतोष ¨सह, पप्पू, नन्द कुमार जायसवाल, मनोहरलाल, कौशलेंद्र ¨सह, मनोज ,दिलीप श्रीवास्तव,दान बहादुर ¨सह, अनिल अग्रहरि मौजूद रहे ।
वही ज्वाला माता मंदिर फेटवा में शतचंडी महायज्ञ व राम कथा में ओमप्रकाश शास्त्री ने कहा कि राम कथा मानव जीवन का दर्पण है। भगवान से मिलने में जीव को चार प्रकार की समस्या आती है। नियम में बाधा, समाज द्वारा विरोध,संतों द्वारा परित्याग व देवताओं द्वारा परीक्षा के बाद भरत जी को भगवान मिले । ईश्वर को पाने के लिए त्याग की जरुरत है। कुदरहा संवाददाता के अनुसार ग्राम पंचायत बैड़ारी में चल रही श्रीमद् भगवत कथा में कांची मठ से आए सूर्यकांताचार्य कहा कि राजा हिरण कश्यप खुद को भगवान समझता था। प्रजा को भी भगवान मानने के लिए दबाव डालता था। हिरण कश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु को ही भगवान मानता था। प्रहलाद के इस भक्ति भाव से हिरण कश्यप चिढ़ता था। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के लिए तरह-तरह से प्रयास किया परंतु प्रहलाद का बालबांका नहीं हुआ। अंत में भगवान विष्णु ने नर¨सह अवतार लेकर हिरण कश्यप का वध किया। ओम त्रिपाठी, आदर्श त्रिपाठी, निशा त्रिपाठी, निधि त्रिपाठी, मुख्तार तिवारी, अजय मिश्रा, पंकज मिश्रा, मंटु दुबे, कमलेश यादव, मनोज यादव, स्नेह नायक, नेहा त्रिपाठी, सुधा त्रिपाठी, सरबजीत त्रिपाठी, अनिल त्रिपाठी मौजूद रहे।