सेना की सौ बीघा भूमि बहा ले गई सरयू
सरयू नदी की कटान का कहर आम किसानों ने ही नहीं सेना भी झेल रही है। नदी की कटान से जहां किसानों की खेती योग्य जमीन धारा में समा गयी है, वहीं सेना की जमीन भी नदी काट ले गई
बस्ती: सरयू नदी की कटान का कहर आम किसानों ने ही नहीं सेना भी झेल रही है। नदी की कटान से जहां किसानों की खेती योग्य जमीन धारा में समा गयी है, वहीं सेना की जमीन भी नदी काट ले गई। सेना की यह जमीन किसी जमाने में निशानेबाजी के अभ्यास के लिए निर्धारित की गई थी। हालांकि अब यहां सेना के जवानों द्वारा कोई अभ्यास नहीं किया जाता है लेकिन मालिकाना हक अब भी सेना का ही है। विक्रमजोत ब्लाक के कल्यानपुर ग्राम सभा के पड़ाव गांव में सेना की 140 बीघा ( 14 हेक्टेयर) भूमि है। इस जमीन में से घाघरा नदी 100 बीघा ( 10 हेक्टेयर) जमीन काट ले गई। वर्तमान समय में यहां पर सेना की मात्र 40 बीघा ( 4 हेक्टेयर) जमीन बच गई है। इस जगह पर अब भी कटान हो रही है। सेना द्वारा समय-समय पर इस जमीन की देखरेख की जाती है। अक्सर ऐसा होता है कि आसपास के खेत मालिक सेना की जमीन भी अपने खेत में मिला लेते हैं तथा उसपर खेती करने लगते हैं। इस वजह से सेना के अधिकारी यहां आते हैं तथा अपनी भूमि की पैमाइश कर जो भी अतिक्रमण होता है उसे हटा देते हैं। जानकारों का कहना है कि सेना सहित आम किसानों की खेती योग्य जमीन बचाई जा सकती थी। जो जमीन नदी की धारा में समा गई वह तो अब मिलने से रही। इसका मूल कारण यह है कि नदी की मुख्य धारा बस्ती जनपद की तरफ हो गई है। इसलिए जो क्षति हुई है उसकी भरपाई अब फिलहाल होने वाली नहीं है। यदि यहां पर पूर्व में प्रस्तावित तटबंध बना दिया गया होता तो सरकार सहित आम जन की इतनी क्षति नहीं होती। अब स्थिति यह है कि यदि पूर्व में प्रस्तावित तटबंध बनाया भी जाए तो भी सेना की यह जमीन नदी और बांध के बीच में पड़ जाएगी।
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ब्रिटिश हुकूमत से सेना के खाते में दर्ज है जमीन
जानकारों का कहना है कि ब्रिटिश काल से यह जमीन सेना के खाते में दर्ज है। आजादी से पूर्व यहां पर सैनिक अभ्यास करते थे। यहां सेना पड़ाव डालती थी। महीनों सैनिक अभ्यास होता था। इसी वजह से इस जगह का नाम पड़ाव हो गया। जो सरकारी अभिलेखों में इसी नाम से दर्ज है। वर्तमान में सेना ने यहां अपना बोर्ड लगा रखा है। समय-समय पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई होती है।
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