प्रसूताओं के आहार में खेल, नहीं बंट रहा भोजन
सीएचसी अधीक्षकों के पत्र के बाद स्वास्थ्य विभाग में खलबली मच गई है
बस्ती : सरकारी अस्पतालों में प्रसूताओं को मिलने वाले आहार में ही खेल शुरू हो गया है। यहां बजट आवंटित होने के बाद भी उनको भोजन नहीं परोसा जा रहा है। उनको भूखा रखे जाने का मामला प्रकाश में आया है। तीन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) अधीक्षकों के पत्र के बाद स्वास्थ्य विभाग में खलबली मच गई है। वर्ष 2017-18 में प्रसूताओं के भोजन और अन्य सामग्री में व्यय के लिए 195 लाख रुपये हर्रैया, भानपुर व सल्टौआ को जारी किया गया। भोजन बांटने के लिए एक संस्था को नामित किया गया, जिसने बीच में ही हाथ खड़े कर दिए। इस वजह से प्रसूताओं को भोजन से वंचित होना पड़ रहा है।
बता दें कि सरकार द्वारा महिला अस्पताल समेत सीएचसी व पीएचसी जहां डिलेवरी प्वाइंट है वहां भर्ती प्रसूताओं को सुबह नाश्ता, दोपहर व शाम को भोजन के साथ-साथ दूध व फल देने की व्यवस्था राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत की गई है। भोजन व नाश्ता ठेकेदार के माध्यम से बांटा जाता है। इसके लिए एक संस्था को नामित किया गया है। महिला अस्पताल में भी भोजन में गड़बड़ी उजागर हो चुकी है। अब हर्रैया, भानपुर व सल्टौआ में भी प्रसूताओं के भोजन में खेल उजागर हुआ है। यहां के अधीक्षकों ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पत्र लिखकर सूचित किया है कि ठेकेदार अप्रैल माह से खाना नहीं बांट रहे हैं। ऐसे में उन्हें भोजन देने में समस्या आ रही। वैकल्पिक व्यवस्था तत्काल सुनिश्चित करने को कहा गया है। इधर सीएमओ का दावा है कि भर्ती प्रसूताओं को भोजन दिया जाएगा। अप्रैल में कितने दिन भोजन बंटा है, इसकी रिपोर्ट मांगी जाएगी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017-18 में हर्रैया को 75 लाख, भानपुर व सल्टौआ को 60-60 लाख रुपये भोजन समेत अन्य सामग्री में खर्च के लिए आवंटित किया गया। जो बजट बच जाता है, वह दूसरे वित्तीय वर्ष में खर्च होता है। बजट होने के बाद भी भोजन न दिया जाना जांच का विषय है।