फास्टैग ने बढ़ाई उलझन,गंवा रहे समय के साथ पैसा
फोरलेन के सुहाने सफर में खलल डाल रहा फास्टैग
बस्ती : फोरलेन पर फास्टैग वाहन चालकों की आसानी के लिए अनिवार्य किए गए लेकिन हकीकत में यह सुविधा लोगों के लिए सिरदर्द साबित हो रही है। समय के साथ पैसा जाया हो रहा है। इन दुश्वारियों की ओर न तो टोल प्लाजा और न ही भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) के अफसर ही ध्यान दे रहे हैं। वाहन चालकों को कहीं खुद की गलती से तो कहीं पर तकनीकी खामियों के चलते दोहरा दंड भुगतना पड़ रहा है। हैरत की बात यह है शिकायत सुनने वाला कोई नहीं है। भुक्तभोगी इस व्यवस्था को कोस रहे हैं।
हाईवे की सरपट यात्रा अचानक चिता में डाल रही है। जैसे ही टोल प्लाजा का साइन बोर्ड एक किमी पहले दिख रहा है,वाहन में बैठे लोग टोल प्लाजा का बोर्ड देखते ही चौंक जा रहे हैं। कैशलेन में लगने वाली लंबी कतार और फास्टैग लेन में दोहरा दंड भुगतने का दृश्य चेहरे की रंगत बिगाड़ दे रहा है। जी हां फास्टैग के चक्कर में हाईवे पर सफर करने वालों की उलझन और बढ़ गई है। कैशलेन में लंबा जाम है। फास्टैग में और मुसीबत। समय के साथ पैसे का भी नुकसान।
टोल कंपनी एनएचएआइ की आनलाइन व्यवस्था में फिट नहीं बैठ पा रही है। बस्ती के मड़वानगर टोल प्लाजा पर कैश लेन की बात छोड़िए फास्टैग लेन में भी वाहनों की लंबी कतार लग रही है। यहां दोनों तरफ एक-एक कैशलेन और चार-चार फास्टैग लेन है। ट्रक एवं बस जैसे बड़े वाहनों के आने पर टोल का सेंसर त्वरित गति से काम नहीं कर रहा है। तब तक पीछे और गाड़ियों की लाइन लग जा रही है। इसमें से वाहन पार करने में काफी वक्त जाया जा रहा है। दूसरे एक का पैसा दूसरे के खाते से भी कटने का डर है।
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यह हैं तकनीकी खामियां
तकनीकी खामी यह कि लंबे सफर के दौरान फास्टैग एकाउंट से जब पैसा खत्म हो रहा है तो वाहन स्वामियों को दोहरा नुकसान उठाना पड़ रहा है। नकद टोल जमा करने पर वाहन पास हो रहा है लेकिन बाद में रिचार्ज कराने पर एकाउंट से भी पैसा कट जा रहा है। टोल पर तत्काल रिचार्ज की सुविधा भी नहीं है। इसके अलावा फास्टैग और कैश लेन का अलग-अलग चिह्नांकन भी नहीं है। अचानक लोग कैशलेन का अंदाजा नहीं लगा पा रहे है। जाम की वजह यह भी बन रही है।
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लोकल वाहनों के साथ भी समस्या
लोकल चारपहिया वाहनों के साथ और समस्या खड़ी हो गई है। फास्टैग से आच्छादित वाहन अपने जनपद में जितनी बार हाईवे से गुजर रहे है टोल प्लाजा पर उतनी ही बार उनका फास्टैग एकाउंट से पैसा कट रहा है। कुछ वाहन स्वामी इस सुविधा से तौबा कर लिए तो कुछ अभी जुड़े ही नहीं है। इनको देना पड़ा दंड शुल्क
गोरखपुर के एडवोकेट राजेश मोहन सरकार लखनऊ से गोरखपुर कार से लौट रहे थे। मड़वानगर टोल प्लाजा पर बताया लखनऊ जाते समय फास्टैग लेन से वह गए। लखनऊ से पहले टोल प्लाजा पर अचानक बैलेंस कम हो गया। खाते में 70 रुपये ही रह गए थे जबकि 90 रुपये अदा करने थे। टोल कर्मी ने एक नहीं सुनी उनसे दोगुना टोल वसूला गया। टोल प्लाजा पर फास्टैग रिचार्ज की सुविधा होनी चाहिए। दूसरे ऐसे लोगों से दोगुना टोल नहीं वसूल किया जाना चाहिए।