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गेहूं के हमशक्ल पौधे से किसान परेशान

गेहूं का हमशक्ल पौधा गेहूं का मामा या गिल्ली-डंडा खेतों में फैलता जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 Jan 2019 10:00 AM (IST)Updated: Mon, 14 Jan 2019 10:00 AM (IST)
गेहूं के हमशक्ल पौधे से किसान परेशान
गेहूं के हमशक्ल पौधे से किसान परेशान

बस्ती:गेहूं का हमशक्ल पौधा गेहूं का मामा या गिल्ली-डंडा खेतों में फैलता जा रहा है। इस घास के नियंत्रण में लागत बढ़ती जा रही है। समस्या यह है कि साल-दर-साल खेतों में फैलता जा रहा है। कृषि विज्ञान में फेलरिस माइनर या गेंहू का मामा, गिल्ली-डंडा तथा अथवा गेहुंसा कहे जाने वाले इस पौधे को गांवों में बनरिनिया कहा जाता है। यह एकदम गेंहू के पौधे जैसा दिखता है। अनुभवी किसान इसकी पत्तियों और गांठों को देखकर इसकी पहचान कर लेते हैं। एक दशक पहले तक यह इक्का-दुक्का खेतों में दिखता था। धीरे-धीरे इसने विस्तार कर लिया। पहली ¨सचाई के बाद इस घास के नियंत्रण के लिए रसायन का छिड़काव करने में पूंजी और श्रम लगाना पड़ रहा है। किसान राम आसरे ,शोभाराम ,त्रिवेनी ,बजरंगी ने बताया कि बाहर से मंगाए गए गेंहू के बीज के साथ यह खेतों पहुंच रहा है। इसकी बालियों के असंख्य दाने मिट्टी में मिल जाते हैं। समय आने पर उग आते हैं। शस्य विज्ञान के प्रवक्ता अर¨वद ¨सह ने बताया कि अमेरिका से आयातित गेंहू के साथ यह भारत आया। यह घास बीस फीसद उपज प्रभावित करती है। तीन से पांच इंच का होने पर ही इसकी पहचान होती है। गेंहू की जड़ पीली भूरी जबकि गेंहू के मामा की जड़ गुलाबी होती है। इसको सल्फो सल्फ्यूरान रसायन के छिड़काव से रोका जा सकता है।

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