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ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में धूल फांक रहे दान में मिले वेंटिलेटर

जिले में जितनी संख्या में वेंटिलेटर है उस हिसाब से बाल रोग विशेषज्ञ और टेक्निशियन नहीं है। इस समस्या से मेडिकल कालेज भी जूझ रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों की स्थिति और खराब है। मेडिकल कालेज एल-टू हास्पिटल हैजबकि जिले स्तर पर चार एल-वन हास्पिटल बने हुए हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 02 Oct 2021 11:20 PM (IST)Updated: Sat, 02 Oct 2021 11:20 PM (IST)
ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में धूल फांक रहे दान में मिले वेंटिलेटर
ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में धूल फांक रहे दान में मिले वेंटिलेटर

बस्ती : मेडिकल कालेज और जिला अस्पताल में वेंटिलेटर क्रियाशील हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में दिए गए सात वेंटिलेटर धूल फांक रहे हैं। कोरोना काल में तमाम कंपनियों और सामाजिक संस्थाओं ने भी दिल खोल कर मदद की। मेडिकल कालेज में 145 वेंटिलेटर क्रियाशील हैं। इसमें से 130 दान के हैं।

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सरकार संक्रमण के खतरे से निपटने के लिए अस्पतालों में चिकित्सा उपकरण से लेकर भरपूर दवाएं उपलब्ध करा रही है। महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कालेज की चिकित्सा इकाई ओपेक चिकित्सालय चिकित्सालय कैली समेत अन्य अस्पतालों में वेंटिलेटर से लेकर अन्य जीवनरक्षक उपकरण क्रियाशील हैं। प्रधानाचार्य डा.मनोज कुमार ने बताया कि मेडिकल कालेज में 145 वेंटिलेटर हैं। इसमें से 130 वेंटिलेटर दान में मिले हैं जो सभी क्रियाशील हैं। प्रधानाचार्य मेडिकल कालेज डा.मनोज कुमार ने बताया कि वेंटिलेटर की कोई कमी नहीं है। बच्चों के लिए 100 बेड का स्पेशल वार्ड तैयार है। कोरोना काल में यहां मरीजों के लिए दान में मिले सभी वेंटिलेटर क्रियाशील हैं।

एसआइसी जिला अस्पताल डा.आलोक वर्मा ने बताया कि जिला अस्पताल में 30 सरकारी वेंटिलेटर हैं। इसमें से 15 इंसेफ्लाइटिस और 14 स्पेशल वार्ड में लगे हुए हैं। एक वेंटिलेटर खराब है। सीएमओ डा. अनूप कुमार ने बताया कि वर्तमान में जिले में पर्याप्त संख्या में वेंटिलेटर उपलब्ध है। कुदरहा, गौर और हर्रैया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में नौ छोटे वेंटिलेटर हैं,जो क्रियाशील हैं। दुबौलिया सीएचसी में दो वेंटिलेटर है,लेकिन क्रियाशील नहीं है। इसी तरह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भेजे गए दान के तीन और वेंटिलेटर क्रियाशील किए जाने हैं। महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. सुषमा सिन्हा ने बताया कि दो वेंटिलेटर है लेकिन चालू नहीं है। बताया आक्सीजन की सप्लाई न होने के चलते वेंटिलेटर को क्रियाशील करने में दिक्कत आ रही है।

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टेक्निशियन की कमी बनी बाधा

जिले में जितनी संख्या में वेंटिलेटर है उस हिसाब से बाल रोग विशेषज्ञ और टेक्निशियन नहीं है। इस समस्या से मेडिकल कालेज भी जूझ रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों की स्थिति और खराब है। मेडिकल कालेज एल-टू हास्पिटल है,जबकि जिले स्तर पर चार एल-वन हास्पिटल बने हुए हैं। यहां लगे वेंटिलेटर के संचालन के लिए टेक्निशीयन,बाल रोग विशेषज्ञ, फिजीशियन व टेक्निशियन की जरूरत है।


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