23 वर्ष से शिक्षा की मशाल जला रहे दिव्यांग रामदत्त
शारीरिक अक्षमता राह की बाधा नहीं हो सकती है। व्यक्ति यदि चाहे तो कुछ भी कर सकता है
अमरजीत यादव, बस्ती : शारीरिक अक्षमता राह की बाधा नहीं हो सकती है। व्यक्ति यदि चाहे तो कुछ भी कर सकता है। यह अलग बात है कि उसे आम आदमी से थोड़ी अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है। ऐसे ही हैं कुदरहा ब्लाक के पिपरपाती मुस्तहकम गांव निवासी रामदत्त। दोनों पैर से दिव्यांग होने के बावजूद कभी खुद को मजबूर नहीं समझे। पढ़ाई के बाद नौकरी की तलाश नहीं की। खुद की ऊर्जा रचनात्मक कार्य में लगाए। अब सात लोगों को रोजगार दे रहे हैं तथा 275 बच्चों का भाग्य संवार रहे हैं। 23 साल पहले उन्होंने जिस शिक्षा की मशाल अपने गांव में जलाई थी उसकी रोशनी पूरे क्षेत्र में फैल रही है।
रामदत्त के अनुसार जब वह हाई स्कूल में थे तब गांव के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते थे। स्नातक तक पढ़ने के बाद बीएड किए। फिर गांव में ही राम जानकी मार्ग के निकट वर्ष 1995 में श्री रामचेत डा.आंबेडकर बाल शिक्षा निकेतन के नाम से विद्यालय की स्थापना की। कहते हैं जब उन्होंने स्कूल खोला तो गांव के ही लोगों ने उनको हतोत्साहित किया लेकिन वह हिम्मत नहीं हारे। दिव्यांगता को ही सफलता का मंत्र मान लिया। ट्राई साइकिल की मदद से गांव-गांव घूम कर बच्चों को एकत्रित करते और स्कूल में पढ़ाते थे। जब बच्चों में काबीलियत दिखने लगी तो अभिभावकों का साथ मिलने लगा। वर्ष 1999-2000 में स्कूल को अस्थाई मान्यता मिली। 2003 में स्थाई मान्यता मिल गई। उनके पढ़ाए एक दर्जन छात्र जवाहर नवोदय स्कूल में प्रवेश पाने में सफल हुए। गरीब छात्रों को निश्शुल्क पढ़ाते हैं। फिलहाल एक दर्जन गरीब छात्र मुफ्त शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।