कंडम घोषित भवन में चल रहा जिला अग्निशमन केंद्र
आज भी कुएं पर नहाते हैं कर्मचारी छह साल पहले कंडम घोषित हो गया था भवन
जागरण संवाददाता, बस्ती: जिला अग्निशमन केंद्र छह साल से कंडम भवन में चल रहा है। ऐसे में यहां कभी भी हादसा हो सकता है। इसके स्थान पर नया भवन बनाया जाना था, लेकिन सबकुछ सिर्फ कागजों तक ही सीमित है।
1935 में कोतवाली के ठीक बगल में स्थापित अग्निशमन केंद्र में तैनात कर्मचारी और अधिकारी, दोनों ही असुविधा का दंश झेल रहे हैं। इनके लिए न तो आवास की मुकम्मल व्यवस्था है और न ही अन्य कोई सुविधा। इन्हें नहाने के लिए अग्निशमन केंद्र में बने कुएं पर जाना पड़ता है। शौचालय की स्थिति भी बदहाल है। अधिकारी से लेकर फायर मैन तक करीब 30 कर्मियों वाले अग्निशमन विभाग बस्ती में कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधा के नाम पर 85 साल पुराना छह कमरे का कंडम घोषित हो चुका आवास है, जो कभी भी ढह सकता है। इसी कंडम आवास के एक कमरे में दो- दो फायर मैन रहते हैं। लीडिग फायरमैन, जिला अग्निशमन अधिकारी के लिए आवास तक की व्यवस्था नहीं है। अग्निशमन विभाग के तीन कर्मचारी कोतवाली के पुराने जर्जर आवास में रहते हैं। अधिकारी आवास के रूप में एक जर्जर आवास है जिसमें पहले सीएफओ रहते थे, अब अग्निशमन अधिकारी पशुपतिनाथ मिश्र रहते हैं। सीएफओ को मजबूरन हर्रैया स्थित अग्निशमन केंद्र पर बने आवास में रहना पड़ रहा है। कई फायर मैन को किराए पर कमरा लेकर रहना पड़ता है। सीएफओ कार्यालय, अग्निशमन अधिकारी कार्यालय, स्टोर रूम, नियंत्रण कक्ष भी इसी कंडम भवन में हैं। छत न होने से अग्निशमन वाहन भी धूप में खड़े रहते हैं।
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कंडम भवन की जगह नया भवन बनने का रास्ता साफ हो गया है। पुलिस मुख्यालय ने कंडम भवन की रिपोर्ट स्वीकृत कर ली है। नए भवन के निर्माण का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
मंगेश कुमार, सीएफओ, बस्ती।