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विशेषज्ञ के अभाव में निराश होते गंभीर रोगी

सरकार का मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने का दावा धरातल पर साकार होता नहीं दिख रहा है। अस्पतालों के जिम्मेदार ही सरकारी योजनाओं की हवा निकाल रहे हैं। बीमारों की दवा करने वाले अस्पताल खुद ही बीमार हो चले हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Jun 2019 10:46 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jun 2019 10:46 PM (IST)
विशेषज्ञ के अभाव में निराश होते गंभीर रोगी
विशेषज्ञ के अभाव में निराश होते गंभीर रोगी

बस्ती: सरकार का मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने का दावा धरातल पर साकार होता नहीं दिख रहा है। अस्पतालों के जिम्मेदार ही सरकारी योजनाओं की हवा निकाल रहे हैं। बीमारों की दवा करने वाले अस्पताल खुद ही बीमार हो चले हैं।

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भानपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर इलाज कराने आईं कुतुबपुर गांव की 25 वर्षीय कुसलावती को कमजोरी की शिकायत थी। यहीं के 70 वर्षीय रामबहादुर को कई दिनों से खांसी आ रही है। इन लोगों ने 8 बजे पर्ची काउंटर पर पर्ची कटाई उसके बाद डा. पीसी यादव को दिखाने के लिए इंतजार करने लगे। 8.35 बजे अस्पताल में पहुंचे डा. यादव ने इन्हें देखा और पर्ची पर दवा लिख दी। इन मरीजों को अस्पताल से ही दवा मिल गई। परसानगरा के राजनरायन अपनी बेटी 10 वर्षीय बेटी शिवांगी का कान का इलाज कराने आए थे। इनके साथ दो बच्चे 9 वर्षीय हर्ष और 7 वर्षीय उत्कर्ष भी थे। इन दोनों बच्चों को बुखार था। इन लोगों की डा. विवेक विश्वास ने जांच की। बुखार पीड़ित बच्चों का तो इलाज हो गया पर शिवांगी को सामान्य दवाएं देनी पड़ीं। अस्पताल में कोई ईएनटी चिकित्सक नहीं है। यहां दंत चिकित्सक डा. विमल चौधरी सहित तीन लोग तैनात हैं। इन्हीं तीन चिकित्सकों पर यहां की 50 हजार से अधिक लोगों की चिकित्सा का जिम्मा है। विशेषज्ञ चिकित्सकों के न होने से मरीजों को अक्सर निराश ही लौटना पड़ता है।

यहां मरीजों को न तो जांच की सुविधाएं मिल पा रही हैं, और न ही आवश्यक दवाएं। सामान्य बुखार, खांसी, कमजोरी आदि का इलाज ही यहां संभव है। गंभीर रूप से बीमार पड़े तो जिला मुख्यालय जाना लोगों की मजबूरी है।

यहां छह चिकित्सकों के पद सृजित हैं। तहसील मुख्यालय होने की वजह से प्रतिदिन यहां ढाई सौ मरीज तकरीबन प्रतिदिन आते हैं। यहां न तो एक्स-रे की सुविधा उपलब्ध है, न ही अल्ट्रासाउंड की। पैथालोजी में सिर्फ एचबी, मलेरिया और मधुमेह की ही जांच होती है। अन्य जांच के लिए निजी पैथालोजी पर जाना पड़ता है। शुक्रवार को सुबह 8 बजे जब अस्पताल खुला तो विभिन्न विभागों के जिम्मेदारों के आने का सिलसिला 9 बजे तक लगा रहा। अस्पताल में पद के सापेक्ष तीन फार्मासिस्ट, 2 नर्स व एएनएम की तैनाती है। जन औषधि केंद्र की स्थापना आज तक नहीं हो सकी है। अस्पताल में दवाएं पर्याप्त होने का दावा तो जरूर किया जा रहा है लेकिन सभी मरीजों को लगभग एक ही तरह की दवा दी जाती है। प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक डा. विवेक विश्वास का कहना है कि पद के सापेक्ष चिकित्सकों के न होने से कुछ दुश्वारियां जरूर हैं। लेकिन जो उपलब्ध हैं उन्हीं के माध्यम से सेवा दी जा रही है। सभी मरीजों को जरूरत के मुताबिक दवाएं दी जाती हैं।

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तकनीशियन तैनात एक्स-रे मशीन नहीं

तहसील मुख्यालय के इस अस्पताल में एक्स-रे तकनीशियन यज्ञराम चौधरी की तैनाती तो विभाग ने कर दी है लेकिन आज तक यहां पर एक्स-रे मशीन नहीं लगाई गई। विभाग उनसे अन्य काम लेता है।

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दर्जा सामुदायिक का सुविधा प्राथमिक की भी नहीं

जासं. सल्टौआ, बस्ती: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सल्टौआ को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा मिला है। इसके भवन का निमार्ण ब्लाक मुख्यालय से 8 किमी दूर अमरौली शुमाली में हो रहा है। भवन निर्माण पूरा न हो पाने के कारण अभी तक अस्पताल का संचालन सल्टौआ के ही पुराने भवन में हो रहा है। यहां भी एक्स रे व अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं है। सामान्य मरीजों को छोड़ दिया जाए तो गंभीर रोगियों को जिला अस्पताल ही जाना पड़ता है। गंभीर रोगियों के आने पर उन्हें रेफर कर दिया जाता है। प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. आनंद मिश्र व डा. प्रदीप कुमार शुक्ल शुक्रवार को सुबह 8 बजे मरीजों का इलाज करते मिले। यहां का शीत श्रृंखला कक्ष संविदा कर्मचारी के हवाले है। प्रसव कक्ष के बाहर कुत्तों का झुंड बैठा रहता है। वाटर सप्लाई पाइप में जगह-जगह लीकेज होने से पानी बर्बाद होता रहता है। परिसर में लगे वाटर पोस्ट के चारों तरफ झाड़ियां उगी हैं। प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. आनंद मिश्र ने बताया कि अभी उन्हें यहां का चार्ज लिए सिर्फ दो दिन हुए एक सप्ताह के अंदर सारी व्यवस्था दुरुस्त कर दी जाएगी।

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