करोड़ों खर्च, फिर भी पेयजल को तरसे ग्रामीण
2014 में विश्व बैंक की सहायता से 23 ग्राम पंचायतों में नीर निर्मल पेयजल परियोजना स्वीकृत की गई
बस्ती: गांवों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने पाइप लाइन पेयजल परियोजना शुरू कर रखी है। इन परियोजनाओं पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं, इसके बाद भी तमाम गांवों में ग्रामीण पेयजल के लिए तरस रहे हैं। कई स्थानों पर परियोजनाएं अधर में लटकी हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में जिन गांवों में पानी दूषित मिला था उनमें सरकार की ओर से पाइप लाइन पेयजल परियोजना शुरू की गई थी। 92 ग्राम पंचायतों में पाइप लाइन पेयजल परियोजना शुरू की गई थी। इनमें आर्सेनिक, प्लोराइड और नाइट्रेट की अधिकता वाले ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष 2014 में विश्व बैंक की सहायता से 23 ग्राम पंचायतों में नीर निर्मल पेयजल परियोजना स्वीकृत की गई थी। इसके अलावा 69 ग्राम पंचायतों में अन्य योजनाओं के तहत पाइप लाइन पेयजल परियोजनाएं शुरू की गईं। जल निगम की माने तो सभी परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, मगर इनमें से अधिकांश का हस्तांतरण नहीं हो सका है। जल निगम के जेई टेक्निकल गौरीशंकर ने बताया कि 92 में से 35 परियोजनाओं को संबंधित ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित किया जा चुका है। कुल 57 परियोजनाओं का हस्तांतरण शेष है। इन्हें जल्द ही हस्तांतरित कर दिया जाएगा।
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परशुरामपुर की पांच परियोजनाओं से नहीं शुरू हुई पेयजल आपूर्ति
परशुरामपुर: विकास खंड में नीर निर्मल की पांच पाइप लाइन पेयजल परियोजनाओं से अब तक पेयजल की आपूर्ति नहीं शुरू हो सकी। 2014 में रोहरौली मजरे में एक करोड़ तीन लाख की लागत से 200 किलोलीटर क्षमता का वाटर टैंक बनवाया गया और 15 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाई गई। कुछ घरों में कनेक्शन भी दिया गया पर पांच साल बाद भी घरों में लगी टोटियों से पानी नहीं निकला। इसी तरह नंद नगर चौरी, सिकंदरपुर, कोहराएं, जगन्नाथपुर में भी विभाग ने करोड़ों रुपये खर्च कर पाइप लाइन पेयजल परियोजना शुरू की गई मगर अब तक पेयजल की आपूर्ति शुरू नहीं हो सकी।
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पाइप लाइन पेयजल परियोजनाओं में कुछ खामियां थी। इसकी जांच सभी तहसीलों के एसडीएम की अध्यक्षता में गठित टीमों से कराई गई है। जल निगम को कमियां दूर कर परियोजनाओं को संचालित करने का निर्देश दिया गया है।
सरनीत कौर ब्रोका, मुख्य विकास अधिकारी, बस्ती।