मारपीट के मामले में 27 साल बाद अदालत ने सुनाया फैसला
मारपीट के एक मामले में 27 साल बाद सीजेएम कोर्ट ने फैसला सुनाया है। दो लोगों को दो-दो साल कारावास के साथ पांच-पांच हजार अर्थदंड की सजा भी सुनाई है। अर्थदंड न अदा करने पर एक माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। एक आरोपी की बुजुर्गी को देखते हुए अदालत ने परिवीक्षा पर छोड़ दिया है।
बस्ती: मारपीट के एक मामले में 27 साल बाद सीजेएम कोर्ट ने फैसला सुनाया है। दो लोगों को दो-दो साल कारावास के साथ पांच-पांच हजार अर्थदंड की सजा भी सुनाई है। अर्थदंड न अदा करने पर एक माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। एक आरोपी की बुजुर्गी को देखते हुए अदालत ने परिवीक्षा पर छोड़ दिया है।
अभियोजन अधिकारी नीलिमा पांडेय ने अदालत को बताया कि कोतवाली थाना क्षेत्र के रौतापार निवासी रमेसर ने पुलिस को दी तहरीर में कहा था कि 30 अक्टूबर 1991 को सुबह आठ बजे वह अपने खेत में खाद डालने गया था। वहां पर प्रतिवादीगण राम नरेश, कृष्ण गोपाल उर्फ झिनकान, कृष्ण चंद्र उर्फ छोटू तथा रामनरेश की पत्नी कैलाशपति पहले से मौजूद थे। उन लोगों ने खेत पर अपना दावा जताते हुए खाद डालने से मना किया। जब वह नहीं माना तो वहां मौजूद लोग उसे अपशब्द कहते हुए मारने पीटने लगे। उसे बचाने आई बहू सोहबती व नतिनी उर्मिला को भी मुल्जिमान ने बाल खींचकर व गर्दन दबाकर प्रताड़ित किया। लोगों के बीच-बचाव से जान बची। पुलिस ने तहरीर के आधार पर चारो आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर चार्जशीट न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया। मुकदमें के दौरान कैलाशपति की मौत हो गई। रामनरेश की उम्र ज्यादा होने पर अदालत ने उसे परिवीक्षा पर छोड़ दिया।