महंगा पड़ा जाति छिपाकर बैनामा कराना
जिला मजिस्ट्रेट डा.राजशेखर की अदालत का फैसला
बस्ती: अनुसूचित जाति की महिला से जाति छिपाकर बैनामा कराने वाले गैर अनुसूचित की भूमि को उससे छीनकर राज्य सरकार में निहित करने का आदेश जिला मजिस्ट्रेट डा.राज शेखर की अदालत ने दिया है।
हर्रैया तहसील के कुसमौर गांव निवासी शिवानंद ने जिला मजिस्ट्रेट के न्यायालय में मुकदमा दायर किया। वादी के अधिवक्ता टीएन लाल के मुताबिक कुसमौर गांव की धूपा अनुसूचित जाति की थीं। गांव के ही ललित मोहन पिछड़ी जाति (अहीर) के हैं। ललित मोहन ने 7 जुलाई 2006 को बिना न्यायालय की अनुमति के धूपा की जमीन गाटा संख्या 19/3मिन.0.142 हेक्टेयर का बैनामा करा लिया। धूपा की वर्ष 2009 में मौत हो गई। मुकदमे में उसके पुत्र कालराम को भी पक्षकार बनाया गया था। अदालत ने सुनवाई के बाद बयान और अभिलेखीय साक्ष्यों का परीक्षण किया। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि ललित मोहन द्वारा जाति संबंधित तथ्य छिपाकर बैनामा लिखाया गया है। जमींदारी उन्मूलन अधिनियम की धारा 167 ए व राजस्व संहिता की धारा 105 के अधीन यह विधि विरुद्ध है। विक्रेता की भी भूमिका संदिग्ध पाई गई है । लिहाजा बैनामा भूमि को राज्य सरकार की संपत्ति घोषित किया जाता है।