सिर्फ नाम का रह गया वृहद गोशाला
क्षमता से कम पशु रखे गए चारा का भी इंतजाम नहीं
बस्ती: प्रशासन की अनदेखी कहें या अफसरों की लापरवाही। कितु बेसहारा पशुओं को गोशाला में रखने की सरकारी मंशा पर यहां पानी फिर रहा है। गोशाला में न तो पशुओं को शरण मिल पा रही और न ही वहां चारा का प्रबंध है।
सरकार बेसहारा पशुओं के रखने व उनके देखभाल करने के नाम पर पानी की तरह पैसा बहा रही है। बस्ती जिले के रमनातौफीर गांव में जिले का सबसे बड़ा गोशाला बनने के बावजूद आज तक वहां अधिकतम 35-36 जानवर ही रखे जा रहे हैं जबकि200 पशुओं को रखने की क्षमता है। जो पशु हैं वह भी चारे के लिए तरस रहे है। थोड़ा बहुत भूसा है वह पशुओं को खिलाने के बजाय सिर्फ दिखावे के लिए रखा गया है। पशुओं की सुरक्षा के लिए गोशाला के चारो तरफ से न तो कटीले तार की व्यवस्था की गई है न ही वहां जालियों की। ठंड को देखते हुए भी कोई इंतजाम अब तक नहीं है। बीमार पशुओं का इलाज भी समय से नहीं हो पा रहा है।
इस संबंध में मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. एके तिवारी ने बताया ग्राम पंचायत अधिकारी ने खाता खोलवाने से मना कर दिया जिसके चलते अभी वहां व्यक्तिगत तौर पर ही चारे का इंतजाम करा रहा हूं। चहारदीवारी के लिए क्षेत्र पंचायत से टेंडर की प्रक्रिया चल रही है।