सौ साल पुराने भवन में चल रहा पशु अस्पताल
पशु अस्पताल भवन जीर्ण-शीर्ण होने से डाक्टर व कर्मचारियों क को खतरा बढ़ गया है।
जासं, हर्रैया, बस्ती : ब्रितानिया हुकूमत में निर्मित पशु अस्पताल का भवन अब सौ साल पुराना हो गया है। अफीम कोठी के नाम से चर्चित यह भवन निष्प्रयोज्य की श्रेणी में है। जीर्ण-शीर्ण भवन की छत बरसात में टपक रही है, दीवारों में दरार है। छतों के ईट बाहर झांक रहे हैं। कमरों में सीलन हमेशा रहता है। इस बदइंतजामी में पशु अस्पताल का संचालन करना खतरे से खाली नहीं है।
यहां महीने में औसतन साढ़े चार सौ मवेशियों का इलाज किया जाता है। भवन की हालत जर्जर होने से कार्य करना यहां कठिन हो गया है। मामूली बरसात होने पर ही कमरों में पानी भर जाता है। भवन के धराशाई होने का भय बना रहता है। वर्ष 1875 में हर्रैया को तहसील का दर्जा दिए जाने के बाद अफीम कोठी को राजकीय पशु अस्पताल में परिवर्तित कर दिया गया था। इसके बाद चिकित्सक व कर्मचारियों के दो नए भवन बाद में बनाए गए। उनकी हालत भी अब जर्जर हो चली है।
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स्टाफ की भी है कमी
यहां चार चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के सृजित पद के सापेक्ष दो और दो फार्मासिस्ट की जगह एक की तैनाती है। जिससे प्रतिदिन मवेशियों का इलाज कराने आने वाले पशुपालकों को अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है।
अस्पताल में दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता है। नए भवन बनाने के लिए प्रस्ताव भेज दिया गया है। खुरपका व मुंहपका आदि बीमारियों ये निपटने के लिए सितंबर से अभियान चलाया जाएगा।
डा. एसपी यादव, पशु चिकित्साधिकारी हर्रैया