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कभी ईदें महकती है, कभी होली महकती है..

By Edited By: Updated: Sat, 10 Mar 2012 07:23 PM (IST)
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बस्ती : मिशन भारतीयम, बस्ती विकास समिति और खुदाई खिदमतगार के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को पैगाम ए इंसानियत का आयोजन किया गया। मुस्लिमों की ओर से सद्भावना होली मिलन का यह कार्यक्रम गंगा जमुनी तहजीब को और पुख्ता कर गया। शायरों ने अपनी रचनाओं से समां बांध दिया। संचालन कर रहे सलीम बस्तवी अजीजी का कलाम.. कभी ईदें महकती है, कभी होली महकती है.. काफी सराहा गया।

समिति के संस्थापक अध्यक्ष राहुल श्रीवास्तव ने बताया कि पैगाम ए इंसानियत नामक अभियान कई संस्थाओं द्वारा 4 फरवरी को ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर जम्मू कश्मीर से शुरू किया गया है जो एक अप्रैल को रामनवमी के अवसर पर अयोध्या में खत्म होगा। इससे महात्मा गांधी की पौत्री श्रीमती तारा गांधी, सामाजिक कार्यकर्ता भारत डोगरा, फैसल खान, मैग्सेसे पुरस्कार विजेता डा.संदीप पाण्डेय जुड़े हुए हैं। इसी क्रम में यहां पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

मुशयारे के मुख्य अतिथि खैर इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य जमालुद्दीन रहे। वहीं अबरार अहमद ने..मुसलमान और हिन्दू की जां, कहां है मेरा हिन्दोस्ता.., शायरा बेगम खालिदा ने.. मुमकिन हो अगर उनसे मिला दीजिए मुझे...ताजीर बस्तवी ने.. कुछ ऐसे रहबर भी सियासत में आएंगे.. अनवार हुसैन पारसा ने.. सदियों से है, सदा रहेगा, हमको सबको है अभिमान.. आतिश सुल्तानपुरी ने.. दस्तूर मोहब्बत का निभाओं तो तुम्हे जाने.. एहसान अहमद एहसान ने.. हम आंसू थे, जब खुश्क हुए.. सुनाकर श्रोताओं का मन बाग बाग कर दिया।

इस अवसर पर मुख्य रूप से असद बस्तवी, शाहिद बस्तवी, कमर बस्तवी, बदरुल हसन सिद्दीकी, सत्येन्द्र नाथ मतवाला, डा.देशबंधु प्रलयंकर, सौरभ श्रीवास्तव, डा.वीरेन्द्र त्रिपाठी, प्रवीन श्रीवास्तव, रवि नितेश, फैज उमर, दिलशाद हसन खां, रामकृष्ण पाण्डेय, कै.एसपी सिंह, सर्वेश श्रीवास्तव, पवन वर्मा, इन्द्रेश यादव, अरुण श्रीवास्तव, भावेश पाण्डेय विनय, डा.नवीन, रजनीश मोहन, परमात्मा विश्वास व मोहम्मद साइमन सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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