Move to Jagran APP

विदेशियों को दीवाना बना रही है जरदोजी कारीगरी Bareilly News

आस्ट्रेलिया सिंगापुर और खाड़ी देशों में लेदर पर जरी जरदोजी की कढ़ाई वाले उत्पादों की मांग बढ़ी है। उत्पादों को ग्लोबल डिमांड के मुताबिक तैयार किया जा सके।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 01:11 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 05:49 PM (IST)
विदेशियों को दीवाना बना रही है जरदोजी कारीगरी Bareilly News
विदेशियों को दीवाना बना रही है जरदोजी कारीगरी Bareilly News

जेएनएन, बरेली : जिले की पहचान कही जाने वाली जरी जरदोजी की कारीगरी ने विदेशियों को भी अपना दीवाना बनाया है। आस्ट्रेलिया, सिंगापुर और खाड़ी देशों में लेदर पर जरी जरदोजी की कढ़ाई वाले उत्पादों की मांग बढ़ी है। उत्पादों को ग्लोबल डिमांड के मुताबिक तैयार किया जा सके इसके लिए जिला उद्योग विभाग कामन फैसिलिटी सेंटर बनवा रहा। इसके शुरू होने से न सिर्फ जरदोजी के कारीगरों को फायदा होगा बल्कि जरदोजी उत्पाद का निर्यात भी दोगुना हो जाएगा। 

loksabha election banner

 9 करोड़ 39 लाख का सेंटर

फरीदपुर के नवादावान में नौ करोड़ 39 लाख की लागत से जरी आधारित लेदर उत्पादों को बनाने के लिए कॉमन फैसिलिटी सेंटर बनाया जा रहा। इमारत व मशीनें लगाने का काम लगभग पूरा हो चुका। वहां जरी- जरदोजी से जुड़े कारीगरों को पैकेजिंग, मार्केटिंग और व्यापार में डिजिटलाइजेशन के महत्व जैसी चीजों की ट्रेनिंग दी जाएगी।

सेंटर में ये होगी सुविधा

मशीनरी हाल

ट्रेनिंग हाल प्रोजेक्टर सहित

तकनीकी से जुड़ी किताबों की लाइब्रेरी

प्रोजेक्ट डिजाइनिंग रुम

पैकेजिंग हाल

कैंटीन

फैकल्टी रुम

डिस्पले एरिया

रा मैटेरियल स्टोर

सपोर्ट सिस्टम एरिया

क्या होगा फायदा

सेंटर बनने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इसके साथ रा मैटेरियल मिलने में आसानी होगी। वहीं मार्केटिंग स्थल होने से उत्पाद के अच्छे दाम भी मिल सकेंगे। आगामी पांच साल में शहर से सौ करोड़ रुपये के निर्यात की होने की उम्मीद है।

कई देशों में है मांग

पश्चिमी देशों में जरी आधारित लेदर के उत्पादों की बड़ी तादाद में डिमांड है। खासकर खाड़ी और सऊदी अरब में। इसके साथ आस्ट्रेलिया और सिंगापुर में भी उत्पादों की मांग है।

एक लाख 70 हजार लोग जुड़े

जरी-जरदोजी उद्योग से जिले में एक लाख 70 हजार लोग जुड़े हैं। जरी उद्योग का अभी सालाना टर्नओवर करीब 40 करोड़ का है। जो कारीगर इससे जुड़े हैं। वह अभी पूरी तरह से दूसरे शहरों के उद्यमियों पर निर्भर है। आर्डर मिलने पर वह सिर्फ डिजाइन करके देते है। जबकि रा मैटेरियल आर्डर देने वाला ही मुहैया कराता है। ट्रेनिंग सेंटर खुलने से न सिर्फ रा मैटेरियल स्थानीय स्तर पर मिलेगा बल्कि एडवांस तकनीक से उत्पादों के तैयार होने पर ग्लोबल स्तर पर डिमांड बढ़ेगी, जिससे कारीगरों की आय में बढोत्तरी होगी।

कामन फैसिलिटी सेंटर को फिनिशिंग टच देना बाकी रह गया है। इसमें करीब साठ लाख रुपये मिलना बाकी रह गया है। जैसे ही पैसा आएगा। बाकी काम को पूरा करके इसे शुरु कर दिया जाएगा।

- ऋषि रंजन गोयल, उपायुक्त जिला उद्योग केंद्र  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.