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सिगापुर से बरेली की नौ घंटे की यात्रा में लगे 102 दिन

सिगापुर से बरेली वाया फ्लाइट सफर करने में अमूमन नौ घंटे का समय लगता है मगर कोरोना महामारी के चलते जनकपुरी कॉलोनी निवासी मनोज पाल को घर वापसी में 102 दिन लग गए। कैरेबियन शिप पर बतौर शेफ तैनात मनोज मंगलवार को बरेली पहुंचे तो परिवार से मिलकर उनके आंसू छलक पड़े।

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 02:12 AM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 06:06 AM (IST)
सिगापुर से बरेली की नौ घंटे की यात्रा में लगे 102 दिन
सिगापुर से बरेली की नौ घंटे की यात्रा में लगे 102 दिन

बरेली, जेएनएन : सिगापुर से बरेली वाया फ्लाइट सफर करने में अमूमन नौ घंटे का समय लगता है, मगर कोरोना महामारी के चलते जनकपुरी कॉलोनी निवासी मनोज पाल को घर वापसी में 102 दिन लग गए। कैरेबियन शिप पर बतौर शेफ तैनात मनोज मंगलवार को बरेली पहुंचे तो परिवार से मिलकर उनके आंसू छलक पड़े। बोले, पहली बार घर तक पहुंचने के लिए सिगापुर, अमेरिका, कैलीफोर्निया, मैक्सिको, कैरेबियन देश बारबाडोस के समुद्र में शिप और साथियों के साथ भटकना पड़ा।

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कैरेबियन कंपनी के शिप के साथ उनकी छह महीने की यात्रा 26 मार्च को सिगापुर पहुंचकर पूरी हो गई थी। इसके बाद उन्हें घर के लिए फ्लाइट से निकलना था। उस वक्त भारत में लॉकडाउन घोषित हो चुका था। एशिया में बिगड़ते हुए हालात देख उनकी कंपनी ने करीब एक हजार साथियों के साथ शिप को अमेरिका ले जाने का फैसला लिया। उनका क्रू अमेरिका के आइलैंड हवाई के समुद्र में पहुंचा। तीन दिन बाद वहां से लॉस एंजिल्स कैलीफोर्निया पहुंचे। यहां कोरोना संक्रमण के कारण सभी लोग बीस दिन तक शिप पर ही रहे।

वहां से अप्रैल में सेन डियागो अमेरिका और फिर मैक्सिको जाना पड़ा। कंपनी ने यहां से मुंबई वापस भेजने के लिए कुछ लोगों को सिगापुर तो कुछ को न्यूयॉर्क भेजा, लेकिन वापसी नहीं हो सकी। इसके बाद भारत आने के लिए दूसरा शिप पकड़ने के लिए वे लोग जहाज के साथ मैक्सिको दोबारा पहुंचे। मगर इस बार भी किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया। अंतत: कैरेबियन देश बारबाडोस पहुंचने के बाद उनकी भारत वापसी के दरवाजे खुले। वहां से शिप के जरिये सभी लोग सिगापुर पहुंचे। जहां से उन्हें दिल्ली तक फ्लाइट से भेजा गया जोकि मंगलवार तड़के पहुंची थी। मनोज बताते हैं कि उनके शिप में भारत के डेढ़ सौ लोग थे। जिन्हें निजी बसों से उनके घर भेजा गया। वह बोले, इस दौरान कैरेबियन शिप कंपनी ने उनका पूरा साथ दिया।

चार क्रू मेंबरों की खुदकुशी डराने वाली थी..

जनकपुरी स्थित घर में पत्नी आकांक्षा, दो बेटियां आद्या और परी हैं। दो भाई व अन्य स्वजन भी उनके लिए हमेशा परेशान रहे। क्योंकि सिर्फ मनोज की ही शिप नहीं फंसी थी। दूसरे देशों की अन्य शिप भी समुद्र में फंसी हुई थी। बकौल मनोज, लॉकडाउन के दौरान अलग-अलग शिप में करीब चार क्रू मेंबरों ने खुदकुशी कर ली। ये खबरें डराने वाली थी। इस दौरान वह परिवार से वीडियो कॉल के जरिए जुड़े रहे। शिप ही उनका घर था। लेकिन जिदगी का ये तजुर्बा डराने वाला था।


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