महिलाओं के मन से तलाक का खौफ हटा, अब राहत का इंतजार
मुस्लिम महिलाओं के सिर पर मंडराने वाला एक बार में तीन तलाक का डर निकल गया
जागरण संवाददाता, बरेली : मुस्लिम महिलाओं के सिर पर मंडराने वाला एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) का खौफ तो जाता रहा। अब उन तमाम महिलाओं को राहत का इंतजार है, जो तलाक के दंश से बेघर हो चुकी हैं। बरेली से महिला अधिकार कार्यकर्ता निदा खान और फरहत नकवी केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक तलाक पीड़ित महिलाओं की मदद की मांग कर चुकी हैं।
आला हजरत हेल्पिंग सोसायटी की अध्यक्ष निदा खान कहती हैं कि तीन तलाक पर अध्यादेश के बाद से घटनाएं तो थमी हैं। यह वाकई उन तमाम महिलाओं के लिए राहत भरा पल है। मगर समाज में ऐसी अनगिनत महिलाएं हैं, जो तीन तलाक देकर घर से निकाल दी गई। उनके गुजर-बसर का कोई जरिया नहीं है। हमने केंद्र-राज्य सरकार को पत्र लिखकर मांग की थी कि इनकी आर्थिक मदद की जाए। जिन महिलाओं के तलाक के केस अदालत में विचाराधीन हैं, उन्हें कानूनी मदद दी जाए। इस दिशा में अभी सरकार के स्तर से कोई प्रयास नहीं हुए हैं। वहीं, मेरा हक फाउंडेशन की अध्यक्ष फरहत नकवी बताती हैं कि मैंने सरकार को लिखित मांग पत्र दिया था। इसमें तलाक पीड़िताओं को रोजगारपरक प्रशिक्षण, गुजारा भत्ता देने का मुद्दा उठाया था। क्योंकि तलाक पीड़ित महिलाएं आर्थिक रूप से अपने शौहरों पर निर्भर थीं। तलाक के बाद उनके सामने बच्चों की परवरिश की समस्या है। उनके बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा दिलाई जाए। तंजीम उलमा-ए-इस्लाम के महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन का मानना है कि मुस्लिम महिलाओं की सही मायने में मदद करनी है तो उनकी शिक्षा, रोजगार के साधन पर ध्यान देने की जरूरत है।