संविधान को साक्षी मानकर फरीदपुर के इस युवक ने निभाई शादी की रस्में, पढिए ये रिपोर्ट Bareilly News
जब बरात लेकर पहुंचा तो हाथ में संविधान की प्रति थी। उसी को साक्षी मानते हुए शादी की सभी रस्में पूरी कीं।
जेएनएन, बरेली : कस्बे में रहने वाले युवक ने अलग ही अंदाज में शादी की। जब बरात लेकर पहुंचा तो हाथ में संविधान की प्रति थी। उसी को साक्षी मानते हुए शादी की सभी रस्में पूरी कीं।
मुहल्ला ऊंचा में रहने वाले विकास वाल्मीकि की शादी सात फरवरी को बरेली के मुंशीनगर मुहल्ले में रहने वाली अनामिका से हुई। वह बरात लेकर पहुंचे तो उनके हाथ में संविधान की प्रति थी। इसके बाद जितनी भी रस्में हुईं, संविधान की प्रति को उन्होंने अपने साथ रखा। शनिवार को जब वह बरात विदा करा घर वापस लौटे।
कहा कि सभी के उत्थान का रास्ता हमारा संविधान ही दिखाता है। इसीलिए मैंने संविधान को साक्षी मानते हुए शादी की। बताया कि उन्होंने जिनसे शादी की वह इसाई हैं, हमने फेरे नहीं लिए, बाकी सभी रस्में पूरी कीं। मानवता में धर्म और जाति के दायरे नहीं होने चाहिए। हमारा संविधान सभी को समानता की सीख देता है।
विकास ने कहा कि अभी भी तमाम सामाजिक कुरीतियां हैं, जोकि दूर होनी चाहिए। बाबा साहब ने अखंड भारत की परिकल्पना की, जिसमें सभी की बराबर भागीदारी की बात थी। संविधान की प्रति साथ ले जाकर मैंने समानता का संदेश देने की कोशिश भी की है।
इस देश में रहने वाले हर शख्स के लिए संविधान ही सर्वोपरि है। विकास का यह कदम लोगो में चर्चा की वजह बना रहा। शुक्रवार को शादी के वक्त और शनिवार को बरात वापसी के बाद फरीदपुर के लोगों में भी इस बात पर चर्चा रही कि उन्होंने संविधान को सर्वोपरि मानने का संदेश दिया।
अगर कोई शादी के आयोजन में संविधान लेकर और उसे साक्षी मानकर रस्में पूरी करता है तो इसमें कोई हर्ज नहीं है। उसकी भावनाओं की कद्र की जानी चाहिए। - घनश्याम शर्मा एडवोकेट, अध्यक्ष बार एसोसिएशन