ममता की आस : मां मुझे क्यों छोड़ा, गले लगा लो
यह कहानी उस बेटी की है जो गुरुनानक अस्पताल में इस कारण लावारिस जैसी इलाजरत है कि उसके माता-पिता आरोप लगा रहे-अस्पताल ने उनके बेटे को बदलकर बेटी दे दी जबकि अस्पताल इंकार कर रहा है।
जितेंद्र शुक्ल, बरेली। यह कहानी उस बेटी की है जो गुरुनानक अस्पताल में इस कारण लावारिस जैसी इलाजरत है कि उसके माता-पिता आरोप लगा रहे-अस्पताल ने उनके बेटे को बदलकर बेटी दे दी जबकि अस्पताल इंकार कर रहा है। विवाद जारी है और बच्ची अस्पताल में है।
बेटी की पाती मां के नाम -
आंसुओं ने मेरा पालना सजा दिया।
मां तूने पैदा करके,
क्यों मरने को डाल दिया?
मुझे याद है जब मैं तेरे गर्भ में आई थी, कितनी खुश थी मां तुम..अभी तो मेरी गर्भावस्था भी पूरी नहीं हुई थी पर मां तेरे हौसले से ही मेरा जन्म हुआ। आपको जरूर बेटे की आस रही होगी। लेकिन, मैंने तो आपके अरमानों पर पानी फेरा था। मुझे माफ करना मां, मैं एक बेटी हूं। पर मां जन्मी तो आपकी कोख से ही मैं भी हूं। मैं कैसे समझाऊं सबको कि मुझे अभी तेरी जरूरत है। अभी तो बहुत छोटी हूं। तुम क्यों मां बेटे की आस में मुझे अकेला छोड़ गईं, क्या मुझे जीने का हक नहीं? मां मैं बेटी हूं आपकी, आपका अभिमान बनूंगी पर तेरे हौसले के हवाले ही तो मैं उड़ान भरूंगी। बस पंख निकलने की देरी है, दुनिया के लिए मिसाल बनूंगी मैं मां। क्या पूरा यकीन है आपको कि आपकी कोख से जन्मा बेटा जिन्दगी भर साथ रहता आपके? पर मां मैं वादा करती हूं ..एक बेटे की तरह न सही पर एक अच्छी बेटी की तरह साथ निभाऊंगी आपका। तो क्या हुआ जो आप छोड़ गईं मुझे इस अनजान दुनिया में, अनजान लोगों के हवाले ..और मां मैं जियूं तो आखिर किसके सहारे? बस कुछ दिनों का सहारा बन जाओ मेरा, मेरी छोटी अंगुलियों को थोड़ा बड़ा हो जाने दो, बस मेरी नन्ही आंखों को सपने सजाने की जरा सी मोहलत दे दो। बस एक बार मुझे गले लगा कर दुनिया को कह दो .. हां मैं तेरी बेटी हूं, जिस पर तुझे अभिमान है ..बाकी तेरी खुशियों पर तो मेरी जिंदगी भी कुर्बान है।
ये है मासूम की दांस्ता
- जन्म- रामपुर जिले के डडिया गांव में परिजन रहते हैं। छह मई 2019 को गुरुकृपा प्राइवेट हॉस्पिटल में पैदा हुई।
- जन्म के समय वजन- साढ़े छह माह में ही जन्मी बच्ची का वजन लगभग 950 ग्राम था। सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।
- बरेली में भर्ती कराया- जन्म लेने के चार घंटे बाद बरेली के गुरुनानक हॉस्पिटल में भर्ती कराया था।
- छह मई से 27 मई तक बच्ची का इलाज चला। जिसके बाद छुट्टी के लिए कहा।
- लड़की होने का पता चला- 27 मई की शाम को। जिसके बाद अस्पताल में हंगामा, मारपीट हुई।
- पुलिस के पास पहुंचा मामला- 27मई को बच्चे के चाचा राजेंद्र कुमार ने प्रेमनगर पुलिस को सूचना दी और बच्ची को अस्पताल में ही छोड़कर चले गए।
- अब चल रहा इलाज- 28 मई से अब तक गुरुनानक हॉस्पिटल के एनआइसीयू यानी न्यूबोर्न बेबी इंटेसिव केयर यूनिट में इलाज चल रहा है।
क्या कहते हैं डॉक्टर
अस्पताल के डाॅ. मनित सलूजा के अनुसार, बच्ची के ब्लड में संक्रमण है। वजन करीब 850 ग्राम है। जिसकी वजह से स्थिति संवेदनशील है। बच्ची हाइपरट्रोफाइड क्लाईटोरिस बीमारी से पीड़ित है।
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