Loksabha Election 2019: मतों की महाभारत में धर्मराज कौन
अज्ञातवास के समय आंवला में धर्मराज युधिष्ठिर को लीलौर झील से पानी लेने के लिए यक्ष के प्रश्नों का जवाब देना पड़ा था। इस जमीन पर एक बार फिर वोटों की महाभारत छिड़ी है।
अज्ञातवास के समय आंवला में धर्मराज युधिष्ठिर को लीलौर झील से पानी लेने के लिए यक्ष के प्रश्नों का जवाब देना पड़ा था। इस जमीन पर एक बार फिर वोटों की महाभारत छिड़ी है। इस बार यक्ष भले न हो मगर प्रश्न के रूप में जातियों के चक्रव्यूह हैं, आंकड़ों के मकड़जाल हैं और सियासी सूरमाओं के अपने कद और उनकी साख भी है। इनका जवाब देने वाला ही इस चुनाव में ‘धर्मराज’ की संज्ञा पाएगा। आंवला संसदीय क्षेत्र के चुनावी मिजाज पर अभिषेक पांडेय की रिपोर्ट।
आंवला संसदीय सीट 1967 में बनी और शुरुआती दो चुनावों में कांग्रेस जीती, तीसरे चुनाव में जनसंघ ने खाता खोल दिया था। 1989 से भाजपा मजबूत हुई तो दूसरी ओर सपा से तगड़ी चुनौती मिलने लगी। उसके बाद से कभी भाजपा तो कभी सपा का इस सीट पर वर्चस्व रहा। इस बार भाजपा के मौजूदा सांसद धर्मेंद्र कश्यप को गठबंधन प्रत्याशी रुचिवीरा से सीधी टक्कर मिल रही। हालांकि कांग्रेस प्रत्याशी कुंवर सर्वराज सिंह का तीसरा कोण भी है, जो तीन बार सांसद रह चुके हैं।
अगर यादवों को छोड़ दें तो अन्य पिछड़ा वर्ग में अच्छी पैठ रखने वाले धर्मेंद्र कश्यप वर्ष 2009 में भी अपनी मजबूती का अहसास करा चुके। तब वह सपा में थे और भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी के सामने महज 7681 वोटों से हारे। हालांकि 2014 में भाजपा में शामिल होकर वह चुनाव जीत गए। क्षेत्र में करीब तीन लाख अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटर हैं। तकरीबन डेढ़ लाख ब्राह्मण और करीब दो लाख क्षत्रिय वोटरों में यदि भाजपा का परंपरागत वोट बैंक सुरक्षित होकर बूथ तक पहुंचा तो मजबूती देगा। मगर यहां क्षत्रिय वोट बैंक में सेंध की बड़ी गुंजाइश है, क्योंकि कांग्रेस प्रत्याशी कुंवर सर्वराज सिंह उनमें गहरी पैठ रखते हैं। हालांकि मोदी फैक्टर भी क्षेत्र में खूब दिख रहा। गांव धारुपुर ठाकुरान में सुखलाल, हरीश कुमार, जमुउद्दीन कहते हैं कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के दो-दो हजार रुपये खाते में आए, तब से लग रहा कि सरकार किसानों के बारे में सोच रही। गांव मानपुर में नन्हे बख्श कहते हैं-‘काम हुआ या नहीं, इस बारे में मत पूछो।’ पुराने पन्ने पलटकर वह बताने लगते हैं कि पिछले लोकसभा चुनाव में मुस्लिम महिलाओं के वोट भी भाजपा को पड़े थे। आंवला, बिथरी चैनपुर, फरीदपुर क्षेत्र में सरकारी आवास, शौचालय, उज्ज्वला कनेक्शन मिलने की बात कहने वाले तमाम लोग मिलते हैं।
गठबंधन के तहत इस सीट पर चुनाव लड़ रहीं बसपा प्रत्याशी रुचिवीरा बिजनौर से आईं हैं। चूंकि कोई मुस्लिम प्रत्याशी नहीं है, इसलिए क्षेत्र के तकरीबन साढ़े तीन लाख मुस्लिम वोटों पर दावा करती नजर आती हैं। यादव-मुस्लिम, अनुसूचित जाति के वोटरों को अपना आधार मानकर वह इनसे जुड़े क्षेत्रों पर ही सबसे ज्यादा जोर दे रहीं। मुस्लिम बाहुल्य परसोना गांव में बब्बो कहती हैं- ‘भाजपा ने अब तक इस क्षेत्र में कोई काम नहीं किया।’ अजीम भी यही कहते हैं। वोट किसे देंगे.. सवाल पर दोनों खुलकर कुछ भी कहने से बच जाते हैं। कहते हैं कि वक्त आने पर देखेंगे कि वोट किसे देना है। फरीदपुर के रम्पुरा, रायपुर हंस मोदी फैक्टर तो दिखता है मगर जातिगत आंकड़े उसे प्रभावित करते नजर आते हैं। क्षत्रिय बहुल इस गांव में कांग्रेस के समर्थक भी काफी नजर आते हैं। ऐसा ही बुधौली और खटेली गांव में भी है। भाजपा की ओर झुकाव रखने वाले इन गांवों के क्षत्रिय वोटर सजातीय प्रत्याशी के बारे में चर्चा करते दिखेंगे। दातागंज में भी कुंवर सर्वराज सिंह से अपने रिश्ते, करीबी संबंध बताने वाले कई लोग मिलते हैं। यहां कांग्रेस मुस्लिम वोटरों को अपनी ओर खींचकर गठबंधन के लिए भी कम सिरदर्द नहीं दे रही।
विधायकों की प्रतिष्ठा भी दावं पर
आंवला संसदीय क्षेत्र दो जिलों के पांच विधानसभा क्षेत्रों से मिलकर बना है। बरेली जिले के फरीदपुर में प्रो. श्यामबिहारी लाल, आंवला में धर्मपाल सिंह, बिथरी चैनपुर में राजेश मिश्र विधायक हैं। तीनों भाजपा के हैं। बदायूं जिले के दातागंज और शेखूपुर विधानसभा क्षेत्र भी आंवला सीट के अंतर्गत हैं। दातागंज में भाजपा के राजीव सिंह बब्बू और शेखूपुर में धर्मेद्र शाक्य विधायक हैं।
ये हैं प्रत्याशी
धर्मेंद्र कश्यप (भाजपा)
सर्वराज सिंह (कांग्रेस)
रुचिवीरा (बसपा)
2014 की स्थिति
प्रत्याशी>>पार्टी>>मत
धर्मेंद्र कश्यप>>भाजपा>>409907
सर्वराज सिंह>>सपा>>271478
सुनीता शाक्य>>बसपा>>190200
सलीम शेरवानी>>कांग्रेस>>93861