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हवा में जहर : बनाते समय ही 'खतरा' है प्लास्टिक और पॉलीथिन Bareilly News

पॉलीथिन भी प्लास्टिक का ही रूप है। इसके 50 हजार बैग बनाने पर तकरीबन 17 किलो सल्फर डाइऑक्साइड गैस वायुमंडल में घुल जाती है।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Tue, 27 Aug 2019 11:35 AM (IST)Updated: Tue, 27 Aug 2019 01:56 PM (IST)
हवा में जहर : बनाते समय ही 'खतरा' है प्लास्टिक और पॉलीथिन Bareilly News
हवा में जहर : बनाते समय ही 'खतरा' है प्लास्टिक और पॉलीथिन Bareilly News

बरेली, जेएनएन : बेतरतीब गर्मी। शीत ऋतु की अवधि धीरे-धीरे कम होते जाना। बारिश का अनियमित होना। कभी विचार किया है, मौसम में यह अनियमित बदलाव क्यों हो रहा है। सामान्य शब्दों में इसे ग्लोबल वार्मिंग कह सकते हैं, लेकिन इसकी मूल वजह है बेतरतीब ऊर्जा खपत और प्लास्टिक व पॉलीथिन। प्लास्टिक पदार्थों के निर्माण व जलाने से पैदा होने वाली रासायनिक गैस ओजोन परत को नुकसान पहुंचा रही हैं। वह परत जो सूर्य की किरणों के विकिरण (रेडिएशन) को पृथ्वी तक पहुंचने से रोकती है।

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पर्यावरणविद प्रो. डीके सक्सेना बताते हैं कि प्लास्टिक फाइबर बनाने पर नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड निकलकर वायुमंडल में मिलती है। यह पेड़-पौधों और फसलों को नुकसान पहुंचाती है। पॉलीथिन भी प्लास्टिक का ही रूप है। इसके 50 हजार बैग बनाने पर तकरीबन 17 किलो सल्फर डाइऑक्साइड गैस वायुमंडल में घुल जाती है। इसके अलावा मोनो ऑक्साइड, नाइट्रोजन और हाइड्रोकार्बन का वायु में रिसाव होता है।
इसलिए माथे पर चिंता की लकीरें 
प्लास्टिक की अत्यधिक उम्र पर्यावरणविदों के लिए भी चिंता का विषय बना हुआ है। प्लास्टिक में मौजूद पॉली एथिलीन (पॉलीथिन) एथिलीन गैस बनाती है। वहीं, पॉली यूरोथेन नामक रसायन पाया जाता है। इसके अलावा पॉलीविनाइल क्लोराइड (पीवीसी) भी पाया जाता है। प्लास्टिक अथवा पॉलीथीन को जमीन में दबाने से गर्मी पाकर विषाक्त रसायन जहरीली गैसें पैदा कर देते हैं। इससे जमीन के अंदर विस्फोट भी हो सकता है। प्लास्टिक को जलाने से रसायन के तत्व वायुमंडल में मिलकर उसे प्रदूषित करते हैं।
जरूरी हर इंसान तक जागरूकता 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सिंगल यूज प्लास्टिक की वजह से तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर स्वतंत्रता दिवस के भाषण और फिर 25 अगस्त को मन की बात में चिंता जाहिर की। देशव्यापी अभियान की घोषणा कर चुके। प्रधानमंत्री की चिंता और अभियान के बूते ही हम इस प्रदूषण से मुक्त नहीं होंगे। हमारी जागरूकता भी जरूरी है। कम से कम वहां प्लास्टिक या पॉलीथिन का उपयोग बंद करें, जहां इसके बिना काम चल सकता है।

प्रतिबंध और इस पर अमल की जरूरत
केंद्र सरकार ने रिसाइकल्ड, प्लास्टिक मैन्युफैक्चर एंड यूसेज रूल्स के तहत वर्ष 1999 में 20 माइक्रोन से कम मोटाई के रंगयुक्त प्लास्टिक बैग के प्रयोग व निर्माण पर रोक लगाई है। इसके बाद 50 माइक्रोन को लेकर भी सख्ती हुई। फिर भी अभी तक पॉलीथिन बाजार में धड़ल्ले से बिक रही है।
पर्यावरण संरक्षण जागरण का सरोकार
प्लास्टिक या पॉलीथिन पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा बनी हुई है। जागरण अपने सरोकार के तहत पर्यावरण संरक्षण के लिए पहल करता आया है। इसी के तहत पॉलीथिन या प्लास्टिक का उपयोग बंद किए जाने के लिए यह अभियान शुरू किया। हम सब जागरुक होंगे, पर्यावरण संरक्षण के प्रति गंभीर होंगे तभी शुद्ध हवा में सांस ले सकेंगे।
प्रधानमंत्री ने भी की थी अपील
रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के दौरान भी इसका जिक्र किया था। लोगों से प्लास्टिक खत्म करने की अपील की थी।

प्लास्टिक उपयोग नहीं करते हैं बनें नजीर, हमें भेजें फोटो
यदि आप जागरण के सरोकार पर्यावरण संरक्षण से जुड़े हैं। पॉलीथिन या प्लास्टिक का उपयोग नहीं करते हैं तो समाज के सामने नजीर बनकर आएं। अपना फोटो भेजकर हमें बताएं कि आप प्लास्टिक-पॉलीथिन के इस अभियान में किस तरह साथ हैं। हम इसे प्रकाशित करेंगे। फोटो व जानकारी वाट्सएप करें -  9454743090


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