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Weather Forecast Update : बंगाल की खाड़ी में बन रहे हवा के कम दबाव का दिखेगा असर, छाएंगे बादल, बढ़ेगा तापमान

बंगाल की खाड़ी पर बन रहे हवा के कम दबाव का असर उत्तर भारत पर भी पड़ सकता है। इस लो प्रेशर से उत्तर और दक्षिण के कुछ राज्यों ओडिशा महाराष्ट्र कर्नाटक आंध्र प्रदेश विदर्भ में भारी बारिश हो सकती है तो यहां आसमान में बादल मंडराते दिखेंगे।

By Ravi MishraEdited By: Published: Thu, 15 Oct 2020 11:38 AM (IST)Updated: Thu, 15 Oct 2020 11:38 AM (IST)
Weather Forecast Update : बंगाल की खाड़ी में बन रहे हवा के कम दबाव का दिखेगा असर, छाएंगे बादल, बढ़ेगा तापमान
बंगाल की खाड़ी में बन रहे हवा के कम दबाव का दिखेगा असर, छाएंगे बादल, बढ़ेगा तापमान

बरेली, जेएनएन। बंगाल की खाड़ी पर बन रहे हवा के कम दबाव का असर उत्तर भारत पर भी पड़ सकता है। इस लो प्रेशर से उत्तर और दक्षिण के कुछ राज्यों ओडिशा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, विदर्भ में भारी बारिश हो सकती है तो यहां आसमान में बादल मंडराते दिखेंगे। हालांकि बरेली व उसके आसपास के जिलों में अगले पांच दिन तक बारिश के आसार नहीं हैं, लेकिन तापमान उछाल पर रहेगा। यह गर्मी को रोके रखने में सहायक होगा। मतलब अभी दिन में लोगों का पसीना सूखने वाला नहीं है।

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उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड आदि देश के अधिकांश हिस्सों से मानसून रुखसत हो चुका है, लेकिन कुछ राज्यों में दक्षिण-पश्चिम मानसून की सक्रियता बनी हुई है। यही सक्रियता शेष भारत से इसकी विदाई में देरी कर रही है। पंत विवि के वरिष्ठ मौसम विज्ञानी डॉ. आरके सिंह के मुताबिक बंगाल की खाड़ी पर बन रहे कम दबाव क्षेत्र का प्रभाव यहां भी नजर आएगा, लेकिन यह बादलों तक ही सीमित रहेगा। बरेली और उसके आसपास पीलीभीत, शाहजहांपुर, बदायूं आदि जिलों में 18 अक्टूबर तक बारिश के आसार नहीं है। यदि उधर ज्यादा लो प्रेशर बना तो इधर नवरात्र में कहीं-कहीं बारिश हो सकती है।

बरेली मंडल में आगामी पांच दिनों तक न्यूनतम तापमान 23 से 24 और अधिकतम 34 से 35 डिग्री सेल्सियस तक बना रहेगा जो पिछले सप्ताह के मुकाबले ज्यादा है। हवा की गति काफी धीमी यानि चार से सात किमी प्रति घंटा रहेगी। इस वजह से तापमान लगभग स्थिर बना रहेगा। किसान हल्की सिंचाई कर बढ़ाएं गन्ने का वजनवैज्ञानिकों ने गन्ना किसानों को सलाह दी है कि आगामी दिनों में फिलहाल बारिश की संभावना नहीं है, ऐसे में हल्की सिचाई करें। इससे गन्ने का वजन बढ़ेगा और किसानों की आय में इजाफा होगा।

शरदकालीन गन्ने की बुवाई यदि चल रही हो तो उसे जल्द से जल्द पूरा कर लें। देर तक बुवाई चलने से फसल का उत्पादन प्रभावित होने का अंदेशा बना रहता है। डॉ. आरके सिंह ने कृषकों को मशविरा दिया है कि यह समय चने की बुवाई के लिए अनुकूल है, लिहाजा इसकी अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े में बुवाई शुरू कर देनी चाहिए। उन्होंने चने की कई किस्मों की भी जानकारी दी। उन्नतशील मसूर और बरसीम की बुवाई का भी यह सही समय है। किसान तैयार फसलों की खुदाई कर उन्हें अच्छे से सुखाकर भंडारित करें।


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