बरेली में जैविक तकनीक से साफ किया जाएगा नालों का पानी, जानिए कैसे
शहर से निकलकर नदियों में मिलने वाले नालों के पानी को अब जैविक तकनीक से साफ किया जाएगा। इसके लिए नगर निगम ने बॉयो रेमेडिएशन विधि का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। इससे रामगंगा नदी का पानी प्रदूषित नहीं होगा।
बरेली, जेएनएन। शहर से निकलकर नदियों में मिलने वाले नालों के पानी को अब जैविक तकनीक से साफ किया जाएगा। इसके लिए नगर निगम ने बॉयो रेमेडिएशन विधि का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। इससे रामगंगा नदी का पानी प्रदूषित नहीं होगा।
नगर निगम क्षेत्र में छोटे-बड़े करीब 117 नाले हैं। इन नालों का पानी किला नदी और नकटिया नदी में गिरता है। बाद में ये छोटी नदियां रामगंगा में समा जाती हैं। कुछ नाले सीधे रामगंगा में गिर रहे हैं। इससे वहां का पानी प्रदूषित हो रहा है। रामगंगा नदी के पानी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए नगर निगम ने अब बायो रेमेडिएशन तकनीक का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। नगर निगम ने एक टीम को इस प्रोजेक्ट के लिए लगाया है।
इस तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए नगर क्षेत्र के आठ नालों को चुना गया है। इनमें सबसे बड़ा नाला किला फूलबाग, जखीरा, इज्जतनगर, गायत्री नगर, कर्मचारी नगर नाले पर सिस्टम लगाया गया है। इसके अलावा किला, इज्जतनगर, हरूनगला, सुभाषनगर नालों पर यह व्यवस्था शुरू की गई है।
क्या है बॉयो रेमेडिएशन तकनीक
बॉयो रेमेडिएशन तकनीक के तहत जैविक प्रणालियों का उपयोग करके प्रदूषण को नियंत्रित किया जाता है। इस तकनीक में बड़े नालों में गिरने वाले छोटे नालों के मुहाने पर एक सिस्टम लगाया जाता है, जिसकी एक टंकी में कुछ जैविक पदार्थ भर दिया जाता है। बहते पानी में यह जैविक पदार्थ बूंद-बूंद कर गिरता रहता है और पानी को साफ करता रहता है। अब तक बॉयो रेमेडिएशन का उपयोग दूषित मिट्टी, भूमि को साफ करने के लिए किया जाता है।
नालों के पानी को साफ करने के लिए बॉयो रेमेडिएशन विधि का इस्तेमाल शुरू कर दिया गया है। इससे रामगंगा नदी भी प्रदूषित होने से बचेगी। शहर के सभी नालों पर यह व्यवस्था शुरू कराने की तैयारी है।- अभिषेक आनंद, नगर आयुक्त