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जरी, बेत के कारोबार को उड़ान भरने के लिए कॉमन फैसेलिटी सेंटर का इंतजार Bareilly News

सरकार की योजना जिले में कामन फैसेलिटी सेंटर खोलने की है। जिसमें कारीगरों के लिए ट्रेनिंग के साथ उन्हें बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Sun, 12 Jan 2020 11:16 AM (IST)Updated: Sun, 12 Jan 2020 01:12 PM (IST)
जरी, बेत के कारोबार को उड़ान भरने के लिए कॉमन फैसेलिटी सेंटर का इंतजार Bareilly News
जरी, बेत के कारोबार को उड़ान भरने के लिए कॉमन फैसेलिटी सेंटर का इंतजार Bareilly News

जेएनएन, बरेली : जिले के लघु उद्योग को उड़ान भरने के लिए अभी भी सरकार की मदद की दरकार है। लघु उद्योग के तौर पर जिले में जरी जरदोजी और बेंत फर्नीचर का काम बड़े स्तर पर होता है। इस काम में लाखों की तादाद में लोग जुड़े हुए हैं।

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फर्नीचर भी बन सकता है पहचान

बेंत फर्नीचर का काम भी जिले में बड़े स्तर पर होता है। इस लघु उद्योग से करीब चार हजार की तादात में लोग जुड़े हैं। जबकि करीब तीन से चार सौ की संख्या में उद्यमी हैं। वही सालाना टर्नओवर 40 करोड़ रुपये है। हालांकि इस उद्योग के आड़े रॉ मैटेरियल की समस्या सबसे ज्यादा आती है। इससे जुड़े लोग आसाम, झारखंड, मध्यप्रदेश और उत्तरी पूर्वी राज्यों से रा मैटेरियल मंगाकर उत्पादों को तैयार करते हैं। इसकी वजह से लागत काफी ज्यादा आती है।

सेंटर खोलने का सरकार कर रही है प्रयास

सरकार की तरफ से जिले के जरी जरदोजी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए वन डिस्टिक्ट वन प्रोडक्ट में लिया गया। सरकार की योजना जिले में कामन फैसेलिटी सेंटर खोलने की है। जिसमें कारीगरों के लिए ट्रेनिंग के साथ उन्हें बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा। पिछले दिनों जब प्रमुख सचिव नवनीत सहगल दौरे पर आए थे तो उन्होंने ओडीओपी में बेंत फर्नीचर को लाने के लिए प्रस्ताव भेजने को कहा था। इस पर डीएम ने प्रस्ताव भेजा है।

कंपनियों को आॅर्डर पर करके दिया जाता है काम 

जिले की पहचान कहे जाने वाले जरी जरदोजी उद्योग में करीब एक लाख 70 हजार लोग जुड़े हैं। इनमें ज्यादातर कारीगर है, जो आर्डर पर काम करके कंपनियों को देते हैं। मुख्यत यहां जरी जरदोजी के काम के लिए डिजाइनर और कंपनियां ऑर्डर देती हैं। ऑर्डर देने के साथ वह कपड़ा और रॉ मैटेरियल भी मुहैया कराती हैं।

जिन पर कारीगर मांग के मुताबिक जरी जरदोजी की डिजाइन करते हैं। ज्यादातर आर्डर दिल्ली, जयपुर, मुंबई, हैदराबाद और पंजाब से आते हैं। सालाना टर्नओवर करीब 50 करोड़ का है। जानकारों का कहना है कि उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कारीगरों को तकनीकी स्तर पर एडवांस बनाने की जरुरत है।

सरकार की तरफ से प्रयास किए जा रहे हैं। बहुत जल्द हम कॉमन फैसेलिटी खोलने जा रहे हैं। जिसमें ट्रेनिंग से लेकर एक्सपोर्ट हब की सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। इसके हम ज्यादा से ज्यादा तादात में मेले का आयोजन भी करेंगे। - ऋषि रंजन गोयल, उपायुक्त, जिला उद्योग केंद्र

जरी जरदोजी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार को इसके लिए बाजार उपलब्ध कराना चाहिए। कारीगरों को ग्लोबली मार्केट का पैटर्न समझाने के लिए ट्रेनिंग देनी होगी। - संदीप टंडन, उद्यमी

बाजार सबसे बड़ी आवश्यकता है। माल तैयार होने के बाद दाम सही नहीं मिलते हैं तो फिर कारीगर भी मायूस होता है और उद्यमी भी। अच्छे दाम मिलेंगे तो कारीगर को भी फायदा होगा और उद्यमी को भी।- पुष्पा, डिजाइनर और उद्यमी

उद्योग को बढ़ावा देने के लिए जरुरी है कि कारीगरों की ग्रोथ हो। सरकार को इसके लिए कारीगरों को एक समग्र ट्रेनिंग देनी चाहिए। जिसमें डिजाइन तकनीकी के साथ आनलाइन व्यापार की जानकारी प्राथमिकता के साथ देने की बात हो। - सोनिया गुरनानी, फैशन डिजाइनर


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