अतीत के आइने से: मतदान देश का कर्ज, चुकाना जरूरी है
सिंधु नगर निवासी 88 वर्षीय हेमनदास संतवानी की बूढ़ी आंखों ने देश के संसदीय इतिहास के पहले चुनाव की यादें सहेज रखी हैं।
संदीप मिश्र, बरेली : हेमनदास संतवानी। उम्र अब 88 वर्ष हो गई है। शहर के सिंधु नगर में रहते हैं। उनकी बूढ़ी आंखों ने देश के संसदीय इतिहास के पहले चुनाव की यादें सहेज रखी हैं। 67 साल बाद भी लोकतंत्र और मतदान के प्रति वही जज्बा बरकरार है जो 1952 में था। कहते हैं मतदान हम पर देश का कर्ज है, इसे चुकाना जरूरी है। जोरदार मतदान से ही लोकतंत्र में लोगों की भागीदारी बढ़ती है। इस लोकसभा चुनाव में घर की चार पीढिय़ों के 20 सदस्य एकसाथ मतदान करेंगे।
बंटवारे का दर्द लेकर आए थे बरेली
हेमनदास मूल रूप अविभाजित भारत के सिंध प्रांत के निवासी हैं। 1947 में आजादी की खुशी के साथ ही बंटवारे का दंश और दर्द मिला। पुरखों की जमीन, बचपन की यादें.. सबकुछ छोड़कर 16 साल की उम्र में बरेली आए थे। अपने मुल्क के प्रति जो जज्बा था उसे विपरीत हालात में भी कम नहीं होने दिया।
तब यूं ही होते थे चुनाव, अब जनता जागरूक
अतीत की बातें याद कर वह बताते हैं कि पहले यूं ही चुनाव हो जाते थे। लोग इतना जानते भी नहीं थे। अब ऐसा नहीं है। जनता जागरूक हुई है। पार्टियां और नेता भी इस बारे में लगातार सोच रही हैं। पढ़े-लिखे लोगों की भागीदारी बढ़ी है। वोटिंग करना भी आसान हुआ है और अब तो अपने वाहन से भी वोट करने जा सकते हैं।
चार पीढिय़ां रहती हैं एकसाथ
मजदूरी कर धीरे-धीरे अपना कारोबार खड़ा करने वाले हेमनदास के परिवार की चार पीढिय़ां एकसाथ रहती हैं। भरे-पूरे परिवार में बेटे, बेटियां, पोते-पोतियां और परपोते हैं। चुनाव चाहें लोकसभा, विधानसभा का हो या निकाय का, सभी वोट डालने जरूर जाते हैं। इसी उद्देश्य से सिंधी सहकारी आवास समिति के अध्यक्ष होने के नाते समाज के 65 नए लोगों के वोट भी बनवाए हैं। सभी मतदान भी करें, इसे सुनिश्चित करेंगे।