SIR ने घोली रिश्तों में मिठास! 15 साल बाद '2003 की वोटर लिस्ट' के बहाने गूंजी बेटी की आवाज
SIR ने 15 साल बाद एक माँ को अपनी बेटी की आवाज सुनने में मदद की। यह प्रेम और परवरिश की शक्ति का अद्भुत उदाहरण है। इस तकनीक ने चिकित्सा विज्ञान में एक नया अध्याय जोड़ा है, जिससे बधिरता से पीड़ित लोगों को सुनने की क्षमता वापस मिल सकती है। माँ का अपनी बेटी की आवाज सुनना एक भावनात्मक पल था, जो प्रेम और मजबूत पारिवारिक रिश्तों की शक्ति को दर्शाता है।

प्रतीकात्मक चित्र
जागरण संवाददाता, बरेली। चार दिन पहले, दोपहर के वक्त जोरावर सिंह के मोबाइल की घंटी बजी। उन्होंने फोन उठाया तो उधर से आवाज आई, बाबूजी... मैं अवधेश, आपका बेटा। मतदाता सूची में नाम जोड़ना है, 2003 की सूची दे दीजिए। प्रेम विवाह के चलते 10 साल पहले घर छोड़कर गुजरात जा चुके अवधेश की आवाज सुनकर पिता की आंखें नम हो गईं। फिर पूरे परिवार ने बात की। बिथरीचैनपुर के खेड़ा गांव निवासी जोरावर सिंह का अपने बेटे से संपर्क टूट चुका था, लेकिन एसआइआर ने फिर एक बार उन्हें जोड़ दिया।
मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) का काम सिर्फ दस्तावेजी कवायद नहीं बल्कि कई टूटे रिश्तों और बिछड़े परिवारों के लिए भावनात्मक सेतु के रूप में उभर का सामने आ रहा है। ऐसे अनगिनत प्रेमी–युगल, जो प्रेम विवाह के बाद परिवार वालों से वर्षों तक बातचीत तक नहीं करते थे, एसआइआर प्रपत्र भरने के लिए पिता–माता का एपिक नंबर खोजते हुए उसी घर का नंबर मिला रहे हैं, जिसे उन्होंने कभी छोड़ दिया था।
घर-घर जाने वाले बीएलओ को सामने ऐसे कई मामले आए हैं, जहां परिवार से दूर हुए बच्चे अपने माता-पिता से संपर्क कर रहे हैं। फोन पर 2003 की मतदाता सूची की जानकारी ले रहे हैं। कुछ तो गांव लौटकर भी आ रहे हैं। फरीदपुर की रहने वाली अनुराधा ने 12 साल पहले दूसरे संप्रदाय के एक युवक से साथ घर बसा लिया। वह पति के साथ दूसरे शहर चली गई। शादी के बाद उसने नाम बदल लिया और दो बच्चों को जन्म दिया। माता-पिता उससे नाता तोड़ चुके थे।
बीते दिनों उसने अपनी मां को फोन किया तो अनुराधा की आवाज सुनते ही मां का गला रुंध आया। अनुराधा ने मतदाता सूची प्रपत्र में पिता का नाम, भाग संख्या, ईपीआइसी आइडी पूछी। इस बहाने मां के साथ लंबी बात की। कुछ इसी तरह की कहानी जोगी नवादा में रहने वाली प्रियवदा की भी निकली। 15 साल पहले उसने अपनी मर्जी से भागकर गैर बिरादरी के युवक के साथ शादी कर ली। तभी से परिवार वालों ने उससे रिश्ता तोड़ दिया।
आना-जाना तो दूर, उसके बाद किसी ने फोन पर भी प्रियवदा से बात नहीं की। 15 साल बाद बीते दिनों बहुत हिम्मत करके प्रियवदा ने अपनी मां को फोन किया। कांपती आवाज में मां से 2003 की वोटर लिस्ट की जानकारी मांगी। वर्षों बाद बेटी की आवाज सुन मां का दिल भी पिघल गया। मां ने इसी बहाने बेटी से लंबी बात की। वही, 10 साल पहले मामा के बेटे के साथ भागी लड़की की आवाज सुनकर पिता विकास की आंखें भर आईं। उन्होंने पुराना सब भुलाकर बेटी का हाल लिया।
मां भी खुद को रोक नहीं पाई, बेटी को फोन पर ही पुचकारने लगीं। उसने पिता का बूथ नंबर, एपिक आइडी आदि की जानकारी ली। विकास ने कहा, वर्षों बाद एसआइआर की वजह से ही बेटी की आवाज दोबारा सुनने को मिली। एक बीएलओ ने बताया कि जिले की नगर पंचायत ठिरिया निजावत खां। यहां 80 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है तो बची हुई 20 प्रतिशत आबादी हिंदू। यहां कई ऐसे परिवार हैं, जिनके घरों में दिल्ली, ओडिसा, बिहार, बंगाल समेत अन्य राज्यों की लड़कियां दुल्हन बनकर आई हैं।
कई लड़कियां तो घरवालों से रिश्ते-नाते तोड़कर यहां पति के साथ रह रही हैं। एसआइआर गणना प्रपत्र के लिए उनके माता-पिता के 2003 की सूची की जानकारी मांगी गई तो उन्होंने लंबे समय बाद अपने परिवार के लोगों को फोन किया। उनसे मूल निवास, घर का बूथ नंबर, एपिक नंबर आदि जानकारियां मांगी। इसी बहाने वर्षों बाद उनकी अपने मायके वालों से बात हुई।

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