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Rohilkhand University : युवाओं से कुलपति बोले, आजादी मांगने वाले रहीम, नजीर को पढे़ Bareilly News

मुसलमां और हिंदू की जान कहां है मेरा हिंदुस्तान.. मैं उसको ढूंढ रहा हूं। न बंग्लादेश न पाकिस्तान मेरी आशा मेरा अरमान वो पूरा-पूरा हिंदुस्तान.. मैं उसको ढूंढ रहा हूं।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Sun, 12 Jan 2020 09:12 AM (IST)Updated: Sun, 12 Jan 2020 01:11 PM (IST)
Rohilkhand University : युवाओं से कुलपति बोले, आजादी मांगने वाले रहीम, नजीर को पढे़ Bareilly News
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जेएनएन, बरेली : मुसलमां और हिंदू की जान, कहां है मेरा हिंदुस्तान.. मैं उसको ढूंढ रहा हूं। न बंग्लादेश न पाकिस्तान, मेरी आशा मेरा अरमान, वो पूरा-पूरा हिंदुस्तान.. मैं उसको ढूंढ रहा हूं। अजमल सुल्तानपुरी की इन्हीं लाइनों से शनिवार को रुहेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अनिल शुक्ला ने उन युवाओं को बड़ा संदेश दिया जो इन दिनों आजादी के नारे लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आजादी के नाम पर देश को टुकड़ों में विभाजित करने की सोच रखने वालों को रहीम, रसखान और नजीर अकबराबादी को पढ़ना चाहिए। प्रो. शुक्ल शिक्षाशास्त्र विभाग की तरफ से आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।

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मुस्लिम कवियों में राष्ट्रीय चेतना : रहीम, रसखान एवं नजीर अकबराबादी के संदर्भ’ विषय पर आयोजित इस संगोष्ठी में मुख्य अतिथि हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयागराज के सभापति प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कहा कि मुस्लिम कवियों ने हमेशा देश को जोड़ने की बात कही है। उन्होंने तोड़ने में विश्वास नहीं रखा। विशिष्ट अतिथि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रो. आरिफ नजीर, वक्ता के तौर पर काशी हिंदूविश्वविद्यालय के प्रो. वशिष्ठ अनूप और उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान की उप संपादक डॉ. अमिता दुबे रहीं।

हिंदी के शब्दकोश में जोडे़ गए आठ लाख नए शब्द 

हिंदी के शब्दकोश में आठ लाख नए शब्दों को जोड़ दिया गया है। ये ऐसे शब्द हैं जो मौजूदा समय के अनुसार हैं। मतलब बोलचाल वाले शब्दों को इसमें शामिल कर लिया गया है। कठिन शब्दों के समानांतर प्रयोग हो रहे शब्दों को शामिल कर लिया गया है। यह जानकारी शनिवार को हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयागराज के सभापति प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित ने दी। वह रुहेलखंड विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में शिरकत करने आए थे।

उन्होंने हिंदी शब्दकोश में अंग्रेजी के सरल शब्दों को शामिल करने का समर्थन भी किया। उन्होंने कहा कि बदलते समय के अनुसार शब्दकोश और भाषा में भी बदलाव जरूरी है। पूरी दुनिया में हिंदी की स्वीकार्यता है। हर देश, प्रदेश के लोग हिंदी सीखना चाहते हैं। इससे जुड़ना चाहते हैं क्योंकि हिंदी भाषा भी एक बड़ा बाजार है।

फैज की नज्में हिंदू विरोधी नहीं

हम देखेंगे.. लाजिम है कि हम देखेंगे.. फैज की इस नज्म पर उठे विवाद पर भी प्रो. दीक्षित ने खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि फैज की यह नज्म कहीं से भी किसी धर्म की मुखालफत नहीं करती हैं। इसमें उन्होंने यही बताने की कोशिश की है कि जब पूरा संसार नष्ट हो जाएगा। प्रलय आ जाएगी तो बचेगा केवल अल्लाह। अल्लाह से उनका मतलब ईश्वर, भगवान से है। लेकिन लोगों ने इसे वर्तमान संदर्भ से लेकर उसे व्यवस्था से जोड़ दिया।

कार्यक्रम में ये रहे मौजूद

कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत प्रो. नलिनी श्रीवास्तव ने किया। आयोजन सचिव डॉ. क्षमा पांडेय ने अतिथियों का परिचय दिया। प्रो. संतोष अरोरा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस दौरान डॉ. गौरव राय, डॉ. राम बाबू सिंह, डॉ. प्रवीण तिवारी, डॉ. विमल यादव, डॉ. आभा त्रिवेदी आदि मौजूद रहे।


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