पशुओं को लंपी स्किन डिजीज से बचाएगा बरेली IVRI और राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र का यह स्वदेशी टीका
Lumpy Skin Disease Vaccine News आइवीआरआइ और राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार ने संयुक्त रूप से लंपी स्किन बीमारी का टीका विकसित किया है। यह टीका राजस्थान हरियाणा पंजाब उत्तराखंड गुजरात समेत कई राज्यों में फैलने वाली बीमारी से जान बचाएगा।
बरेली, जागरण संवाददाता। Lumpy Skin Disease Vaccine News : देश के कई प्रांतों में गाेवंशीय और महिष वंशीय पशुओं के लिए परेशानी का सबब बनी लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) से पशुओं की हालत खराब होती जा रही है। इस बीमारी से निजात दिलाने वाला टीका अब तैयार हो गया है।
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (Bareilly IVRI) और राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (National Horse Research Center), हिसार ने संयुक्त रूप से लंपी स्किन बीमारी (Lumpy Skin Disease) का टीका विकसित किया गया है। इस टीके को नई दिल्ली के कृषि भवन में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने जारी किया।
मच्छरों और खून चूसने वाले कीड़ों और मक्खियों के काटने से एक से दूसरे जानवर में फैलने वाली यह बीमारी राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, गुजरात समेत कई राज्यों में फैल गई है। गायों की अकाल मृत्यु का मुख्य कारण बन रही इस बीमारी का अन्य जानवरों में भी प्रकोप हो सकता है।
पशुपालकों को आर्थिक नुकसान पहुंचाने वाली इस बीमारी से सभी आयु वर्ग की गायें प्रभावित हो रही हैं। गांठदार त्वचा रोग (लंपी स्किन डिजीज) की स्वदेशी सजातीय वैक्सीन लंपी प्रो वैक्सीन का विमोचन किया गया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीइ), हिसार एवं भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों के संयुक्त प्रयास से इस वैक्सीन को विकसित किया गया।
अब तक लगाया जा रहा था भेड़ एवं बकरी पाक्स का टीका
एलएसडी विषाणु कैप्रीपाक्स परिवार का सदस्य है। यह भेड़ एवं बकरी पाक्स से आनुवंशिक रूप से काफी मिलता जुलता है। इससे पहले एलएसडी का कोई सजातीय टीका उपलब्ध न होने के कारण केंद्र सरकार ने गायों को एलएसडी रोग से बचाव के लिए भेड़ एवं बकरी पाक्स के टीके (विषमजातीय) के उपयोग को अधिकृत किया है।
परंतु यह टीका गायों में एलएसडी के खिलाफ केवल आंशिक सुरक्षा प्रदान करता है। लेकिन वैज्ञानिकों का दावा है कि लंपी प्रो वैक्सीन जानवरों को शत प्रतिशत सुरक्षा देने में सक्षम है।
एलएसडी के लक्षण एवं घातकता
पशुओं को तेज बुखार आ जाता है
दुधारू पशु दूध देना कम कर देते हैं।
आंखों, नाक से पानी आना और वजन घटने लगता है।
लंपी त्वचा रोग में पूरे शरीर पर (खासकर सिर, गर्दन और जननांगों के आसपास)
दो से पांच सेंटीमीटर व्यास की गांठें बन जाती हैं।
इस बीमारी की चपेट में आई गायों, भैंसों के शरीर पर फोड़े होने लगते हैं और घाव बन जाते हैं।
मादा पशुओं का गर्भपात हो जाता है,और पशुओं की मौत भी हो जाती है।
कुछ मामलों में यह बीमारी पशुओं में लंगड़ापन, निमोनिया और बांझपन का कारण बन सकता है।
पशुओं के मांस की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
शरीर भद्दा होने के साथ ही पशु कमजोर हो जाता है।
दिल्ली में कार्यक्रम के दौरान इनकी रही मौजूदगी
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ ही केंद्रीय मंत्री मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी पुरषोत्तम रूपाला, केंद्रीय कृषि एवं कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक एवं सचिव डेयर डा. हिमाशुं पाठक, संस्थान के पशु विज्ञान के उपमहानिदेशक डा. बीएन त्रिपाठी, सहायक उप महानिदेशक डा. अशोक कुमार, आइवीआरआइ के निदेशक डा. त्रिवेणी दत्त, संयुक्त निदेशक शोध डा. जी. साई कुमार उपस्थित रहे।