उप्र के सतपाल ने चंद्रयान-2 में निभाई है अहम भूमिका, वक्त पर उठने के लिए करते थे यह काम Badaun News
अपने बचपन को याद करते हुए सतपाल कहते हैं कि उन्हें हमेशा अलग करने का शौक था। छोटी-छोटी चीजें उन्हें लुभाती थीं।
बरेली, प्रसून शुक्ल। चंद्रयान-2 में अहम भूमिका निभाई है बदायूं के सतपाल अरोरा ने, जिनकी अगुआई में 300 लोगों का दल इस बात को सुनिश्चित करने में लगा है कि यान में लगे सभी सेंसर सुचारू रूप से काम करें। आइए मिलते हैं, इसरो के इस वरिष्ठ वैज्ञानिक से और जानते हैं उनके यहां तक के सफर के बारे में..
सुबह नींद जल्दी खुल जाए इसके लिए अलार्म घड़ी के साथ पानी के मग को इस तरह बांध कर सोते थे कि अलार्म बजते ही सारा पानी उनके मुंह पर आकर गिरे। बचपन में खौलती चाय के बुलबुले उन्हें आकर्षित करते थे।
अब वह इसरो में 300 लोगों के दल का नेतृत्व कर रहे हैं और चंद्रयान-2 में इस बात को सुनिश्चित करने में लगे हैं कि सभी सेंसर सुचारू रूप से काम करें। हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के बदायूं के उझानी निवासी सतपाल अरोरा की। उनका इसरो तक का सफर बेहद शानदार रहा है।
सतपाल बताते हैं कि उनके पिता चरनजीत सिंह अमृतसर से बदायूं के उझानी में आए और यहीं बस गए। अपने बचपन को याद करते हुए सतपाल कहते हैं कि उन्हें हमेशा अलग करने का शौक था। छोटी-छोटी चीजें उन्हें लुभाती थीं। मसलन, खौलती चाय में उठते बुलबुले उन्हें आकर्षित करते थे।
वह सोचते थे कि कैसे चाय में बुलबुले बनते हैं और कहां खो जाते हैं। वह चाय में थर्मामीटर डालकर उसकी जांच करते। सतपाल हंसते हुए कहते हैं, बचपन में ऐसी शैतानियों के लिए अक्सर घरवालों की डांट पड़ती थी। शायद उनकी यह अलग सोच ही थी, जिसने उन्हें वैज्ञानिक बनने की दिशा में आगे बढ़ाया।
सतपाल अरोरा उर्फ मिक्कू की पढ़ाई उझानी के न्यू लिटिल एंजिल स्कूल और एमजीएनपी इंटर कॉलेज से हुई। इसके बाद भोपाल में 80 फीसद अंकों के साथ गोल्ड मेडल हासिल कर बीटेक पूरी की। तभी चौधरी चरण सिंह मेरठ विश्वविद्यालय में पढ़ाने का मौका मिला। वहां उन्होंने तीन साल जॉब की। 2007 में ऑल इंडिया साइंटिस्ट एंट्री एग्जाम पास कर इसरो के साथ जुड़ गए।
साहित्य में भी गहरी रुचि
सतपाल भले ही वैज्ञानिक हैं, लेकिन साहित्य में भी उनकी गहरी रुचि है। इसकी वजह शकील बदायुनी के जिले से उनका जुड़ाव है। प्रख्यात गीतकार शकील बदायुनी और उर्मिलेश शंखधर बदायूं के ही थे। उन्हीं की वजह से सतपाल भी साहित्य की ओर आकर्षित हुए। सतपाल बताते हैं कि उनकी कुछ रचनाओं को इन हाउस पुरस्कार मिल चुका है। 'दुनिया के राही' शीर्षक से लिखी गई कविता सतपाल काफी उत्साहित होकर सुनाते हैं।