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रोडवेज की बसों में यात्रा के लिए बनाए स्मार्ट कार्ड का फंसा पैसा होगा वापस

परिवहन निगम की बसों में यात्रा के लिए शुरू की गई स्मार्ट कार्ड योजना दिसंबर 2020 से बंद हो गई है। काफी संख्या में छात्र व नियमित नौकरी के लिए एक जिले से दूसरे जिलों को जाने वाले लोगों ने काफी संख्या में स्मार्ट कार्ड बनवाए थे।

By Aqib KhanEdited By: Published: Sat, 25 Jun 2022 07:27 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jun 2022 07:27 AM (IST)
रोडवेज की बसों में यात्रा के लिए बनाए स्मार्ट कार्ड का फंसा पैसा होगा वापस
रोडवेज की बसों में यात्रा के लिए बनाए स्मार्ट कार्ड का फंसा पैसा होगा वापस

बरेली, जागरण संवाददाता: परिवहन निगम की बसों में यात्रा के लिए शुरू की गई स्मार्ट कार्ड योजना दिसंबर 2020 से बंद हो गई है। बरेली परिक्षेत्र में काफी संख्या में छात्र व नियमित नौकरी के लिए एक जिले से दूसरे जिलों को जाने वाले लोगों ने काफी संख्या में स्मार्ट कार्ड बनवाए थे। विभाग ने ऐसे लोगों को स्मार्ट कार्ड में शेष धनराशि वापस करने के लिए संबंधित एआरएम को पत्र लिखा। विभाग की ओर से ऐसे लोगों को धनराशि वापस लेने के संबंध में स्पष्ट सूचना भी उपलब्ध नहीं कराई गई।

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2016 में शुरू हुई थी योजना

वहीं हकीकत यह है कि यात्रियों को अनुमान है कि यह कार्ड कुछ दिनों बाद शायद फिर से शुरू हो जाएगा जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। रोडवेज ने वर्ष 2016 में प्राइवेट कंपनी की मदद से स्मार्ट कार्ड योजना शुरू की थी। प्रत्येक डिपो में काउंटर खोलकर 550 रुपये का कैशलेश स्मार्ट कार्ड बनाया गया था। इस कार्ड के इस्तेमाल पर लाभार्थी को किराये में 20 प्रतिशत की छूट देने की बात भी कही गई थी।

कोरोना संक्रमण काल में हुई बंद

बरेली वृत्त की बसों में नियमित यात्रा करने वाले दो हजार से अधिक यात्रियों ने स्मार्ट कार्ड बनवाए थे। इनमें बड़ी संख्या में छात्र, शिक्षक व आस-पास के जिलों व कस्बा में नौकरी करने वाले लोग शामिल थे। कार्ड बनवाने के बाद लोगों ने इसे रिचार्ज भी कराया। कार्ड में डलवाए गए रुपये छह माह में खर्च करने थे। वहीं कोरोना संक्रमण काल में योजना को बंद कर दिया गया जो आज तक शुरू नहीं हो सकी।

इनका कहना है

कार्ड सेवा बंद करते समय सूचना दी गई थी। बरेली वृत्त के चारों एआरएम को पत्र लिखकर सभी की धनराशि वापस करने के निर्देश पहले भी दिए गए हैं। अगर किसी यात्री की धनराशि अभी भी पेंडिंग है तो वह कार्यालय जाकर ले सकता है। - आरके त्रिपाठी, क्षेत्रीय प्रबंघक


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